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पुलिस ने अतिक्रमणकारियों पर बरसाये डंडे

मधेपुरा : शहर में स्टेडियम से पूरब बसे गायत्री मोहल्ला में करीब तीन दर्जन परिवार बसे हैं. सोमवार को सदर अंचलाधिकारी वीरेंद्र झा, स्थानीय पुलिस बल व कमांडो के सहयोग से अतिक्रमण हटाने के लिए पहुंचे. घरों को टूटते देख लोगों का आक्रोश फूट गया. काफी गुहार लगाने पर भी लोगों की अधिकारी एक सुनने […]

मधेपुरा : शहर में स्टेडियम से पूरब बसे गायत्री मोहल्ला में करीब तीन दर्जन परिवार बसे हैं. सोमवार को सदर अंचलाधिकारी वीरेंद्र झा, स्थानीय पुलिस बल व कमांडो के सहयोग से अतिक्रमण हटाने के लिए पहुंचे. घरों को टूटते देख लोगों का आक्रोश फूट गया. काफी गुहार लगाने पर भी लोगों की अधिकारी एक सुनने को तैयार नहीं थे.

कुछ महिला जब महिला पुलिस के पास अपनी गुहार लगा रही थी तो उनके ऊपर लाठी चलायी. इस दौरान महिला जख्मी हो गया. जख्मी संज्ञान देवी को एंबुलेंस से सदर अस्पताल ले जाया गया. जख्मी हालत में महिलाओं ने अपनी हाथ को दिखाते हुए कहा कि घर तोड़ने की सूचना पूर्व से अधिकारियों देना चाहिये था, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं किया गया. आक्रोशित महिला व पुरुष पुलिस बल व अधिकारियों से उलज पड़े. इस दौरान कई महिलाएं बेहोश हो गयी.
वर्षों से झोपड़ी बनाकर कर रहे है गुजर बसर : गौरतलब है कि गायत्री मोहल्ला में करीब 35 परिवारों के घर है. इनमें से कोई एक तो कोई दो पीढ़ी से यहां रह रहा है. बाहर से मजदूरी करने आये लोगों ने नदी के किनारे शहर से हट कर वीराने में सरकारी भूमि पर अपना घर बना लिया था. अब उनकी तीसरी पीढ़ी यहां रह रही है.
इनका मुख्य पेशा मजदूरी या खोमचा या रेहड़ी पर दुकान चलाना है. इतने वर्षों में शहर अपना आकार बढ़ता हुआ इस मोहल्ले तक जा पहुंचा. नदी के उस पास भी बसाहट बढ़ गयी और शहर के फैलाव को विस्तार देने की प्रक्रिया के तहत यहां एक पुल बनाया गया.
वादा पर खड़े नहीं उतरे अधिकारी : गायत्री मोहल्ला सरकारी जमीन पर बसा है. इनलोगों के पास जमीन नहीं होने के कारण ये लोग सड़क किनारे ही झुग्गी बना कर रह रहे थे. इनलोगों का घर तोड़ने से पहले प्रशासन ने अन्य जगह पर जमीन उपलब्ध कराने का वादा किया था
लेकिन इस वादे को अब तक अमलीजामा नहीं पहनाया गया है. बसे-बसाये घर को उजाड़ना आसान है, लेकिन फिर से बसाना उतना ही मुश्किल है. और जब यह जिम्मेदारी प्रशासन की हो तो यह एक अंतहीन सिलसिला बन कर रह जाता है.
अब बरसात के मौसम में इन्हें हटाया जायेगा तो इनलोगों का जीवन काफी मुश्किल हो जायेगा. गायत्री मोहल्ले के लोगों को यहां से हटाया गया था तो वहीं पास में वीमेंस कॉलेज से समाहरणालय जाने वाली सड़क के किनारे सिर छुपाने की जगह ढूंढ़ ली थी. अब इनके लिये इस बरसात के मौसम में रात गुजारना मुश्किल हो गया है. इधर, सिंकी देवी ने कहा साहब लोगों ने पहले भी घर तुड़वा दिया था. काफी मेहनत के बाद घर बनाया. पहले कहा था कि रहने के लिये दूसरा स्थान देंगे.
अब तक बाट ही जोह रहे हैं. बच्चे से लेकर बूढ़े तक काफी परेशान हैं. सोनी देवी, रंजू देवी, अंशु देवी, रेखा देवी, संजू देवी, सुरेश राज, राज कुमार मंडल आदि ने बताया कि उन पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है. संतोष महतो, लाल दास, सुनीता देवी, वरूण दास, मनोज कुमार, संयुक्ता देवी, पूनम देवी ने बताया कि बिना जगह दिये फिर से हटाना मानवीयता पर सवाल है.

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