एक गेट बंद रहने के कारण सदर अस्पताल में गेट से ओपीडी का दो सौ मीटर का रास्ता तय करना बूढ़ों के लिए होता है दुश्वार
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ओपीडी के लिए नहीं मिलता है व्हील चेयर
एक गेट बंद रहने के कारण सदर अस्पताल में गेट से ओपीडी का दो सौ मीटर का रास्ता तय करना बूढ़ों के लिए होता है दुश्वार इमरजेंसी के लिए रखे व्हील चेयर का इस्तेमाल ओपीडी के लिए नहीं किये जाने के कारण ऐसे मरीज हो जाते हैं परेशान मधेपुरा : चल नहीं सकते तो क्या, […]
इमरजेंसी के लिए रखे व्हील चेयर का इस्तेमाल ओपीडी के लिए नहीं किये जाने के कारण ऐसे मरीज हो जाते हैं परेशान
मधेपुरा : चल नहीं सकते तो क्या, अगर सदर अस्पताल में ओपीडी में दिखाने आये हैं, तो आपको गेट से ओपीडी तक जाने की व्यवस्था निजी स्तर पर ही करनी होगी. यहां व्हीलचेयर केवल इमरजेंसी के मरीजों के लिए ही उपलब्ध है. सदर अस्पताल पर पूरे जिले का भार है. लाचार मरीज सदर अस्पताल पर भरोसा करके दूर-दराज गांव से यहां तक आते हैं. इन मरीजों में ऐसे कई मरीज होते हैं जिन्हें चलने में परेशानी होती है या वे इतने बूढ़े होते हैं कि वे ठीक से चल नहीं पाते. रिक्शा या अन्य वाहन से वे अस्पताल तक तो पहुंचते हैं, लेकिन ओपीडी तक की यात्रा उन्हें किसी के कंधे का सहारा लेकर या खुद घिसट कर ही ओपीडी तक पहुंचते हैं. सदर अस्पताल गेट से ओपीडी की दूरी लगभग 200 मीटर है. ऐसे में अगर लाचार मरीज के लिये वहां तक पहुंचना हिमालय चढ़ने के समान साबित होता है.
शंकरपुर प्रखंड के चौरा गांव निवासी मो जहीर डायबिटीज के मरीज हैं. उनके पैर में घाव हो गया है. घाव इतना गहरा हो गया है कि एक कदम चलना उनके परेशानी होती है. अपने बेटे मो कुर्बान के साथ जब वह सदर अस्पताल पहुंचे थे, तो चल नहीं पा रहे थे. मो कुर्बान ने कहा कि उन्होंने जब अपने पिता को ओपीडी तक ले जाने के लिए इमरजेंसी से व्हीलचेयर की मांग की तो अस्पताल कर्मचारी ने मना कर दिया. कर्मचारी का कहना था कि व्हीलचेयर ऐसे मरीजों को मिलता है जिनका पैर टूटा हुआ है. ओपीडी के मरीज के लिए व्हीलचेयर नहीं दिया जाता है. अंत में बेटे और दामाद ने उनके दोनों कंधों को पकड़ा और ओपीडी तक ले गये.
जिला मुख्यालय के वार्ड नंबर 10 निवासी विनोद चौरसिया ने ससुराल में हाइड्रोशील का ऑपरेशन कराया था. ऑपरेशन के बाद वे मधेपुरा आ गये. गुरुवार को वह अपनी जांच व दवा के लिए सदर अस्पताल पहुंचे थे. ऑपरेशन के कारण चलने में उन्हें दिक्कत हो रही थी. इमरजेंसी से उन्हें डॉक्टर से मिल कर दवा लिखाने के लिए ओपीडी जाने कहा गया. व्हीलचेयर मांगने पर उन्हें वहीं रटा रटाया जवाब मिला कि ओपीडी में जाने वाले को व्हीलचेयर नहीं मिलता है. व्यवस्था को कोसते हुए वह मित्र का कंधा पकड़ कर किसी तरह ओपीडी पहुंचे.
सदर अस्पताल में व्हील चेयर की कमी नहीं है, लेकिन व्हील चेयर इमरजेंसी में आये मरीजों के लिए है. ओपीडी में आये मरीजों के लिए व्हील चेयर का प्रावधान नहीं है. सामान्यतया ओपीडी में व्हील चेयर की आवश्यकता नहीं पड़ती है. ओपीडी में आने वाले मरीजों में आधे वृद्ध ही होते हैं. ऐसे में किनको दिया जायेगा.
डॉ अखिलेश कुमार, अस्पताल उपाधीक्षक, सदर अस्पताल मधेपुरा
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