मधेपुरा : जिले में कई फर्जी नर्सिंग होम संचालित हो रहे हैं, जहां मरीजों का मानसिक व आर्थिक दोहन किया जाता है. जय भवानी सेवा सदन में प्रसूता की मौत पर स्वास्थ्य महकमा हरकत में तो आयी, लेकिन जिले में धड़ल्ले से खुल रहे अवैध नर्सिंग होम के खिलाफ स्वास्थ्य कार्रवाई से पीछे हट गयी. इसके बाद प्रभात खबर में लगातार प्रकाशित खबर पर संज्ञान लेते हुए जिला पदाधिकारी ने जिले में फर्जी डॉक्टरों के भरोसे अवैध रूप से चल रहे नर्सिंग होम, क्लिनिक व पैथोलॉजी के खिलाफ 48 घंटे में कार्रवाई करने का निर्देश दिया.
डीएम के निर्देश पर स्वास्थ्य विभाग ने कार्रवाई शुरू करते हुए अवैध रूप से चल रहे नर्सिंग होम, क्लिनिक व पैथोलॉजी पर कार्रवाई शुरू कर दी. इस कड़ी सिविल सर्जन डा गदाधर प्रसाद पांडे ने कहा कि पैथोलॉजी व डायग्नोस्टिक सेंटर को सील करते हुए उसके खिलाफ कार्रवाई की जायेगी. सीएस ने कहा स्वास्थ्य विभाग ने भीरखी में अवैध रूप से संचालित जय भवानी नर्सिंग को सील कर दी है. वहीं पुरैनी स्थित एक अवैध नर्सिंग होम को सील करने का निर्देश दिया गया है.
इसके अलावा शहर के दो पैथोलॉजी ने स्वेच्छा से अपनी दुकान बंद कर ली है. जानकारी के अनुसार डीएम मो सोहैल ने जिले में अवैध रूप से संचालित नर्सिंग होम, क्लिनिक व पैथोलॉजी बंद करने का अल्टीमेटम दिया था. उसकी समय सीमा समाप्त हो गयी है. लेकिन स्वास्थ्य विभाग की कार्रवाई न के बराबर दिख रही है. केवल एक नर्सिंग को सील कर दूसरे नर्सिंग होम को सील करने का निर्देश दिया गया है, जबकि जिले में पांच सौ से अधिक अवैध नर्सिंग होम, क्लिनिक व पैथोलॉजी संचालित हो रहा है. केवल शहर में सौ से अधिक ऐसे नर्सिंग होम, क्लिनिक व पैथोलॉजी के बोर्ड व साइन बोर्ड लगे है
जिस पर बड़े बड़े डॉक्टर के नाम लिखा हुआ है. मुख्यालय के अलावा विभिन्न प्रखंडों में इनकी संख्या पांच सौ से अधिक बतायी जा रही है. स्वास्थ्य विभाग से पूरे जिले में केवल 49 नर्सिंग होम, क्लिनिक व पैथोलॉजी का औपबंधिक पंजीयन हुआ है. डीएम की अध्यक्षता व सिविल सर्जन के संयोजन में बैठक कर इनका पंजीयन किया गया था.
इसमें 44 नर्सिंग होम, क्लिनिक व पैथोलॉजी की पंजीयन की समय सीमा समाप्त हो चुकी है. इस प्रकार जिले में केवल पांच नर्सिंग होम, क्लिनिक व पैथोलॉजी हैं जिन्हें वर्तमान में स्वास्थ्य विभाग से औपबंधिक पंजीयन प्राप्त है. जबकि स्वास्थ्य विभाग ने छह माह के भीतर एमसीआइ के मानक अनुसार संसाधन व सुविधा को पूरा करने का निर्देश दिया है. इसके बावजूद एमसीआइ के मापदंड को पूरा करने में असफल मधेुपरा के नर्सिंग होम, क्लिनिक व पैथोलॉजी क्लिनिकल स्टेबलिसमेंट एक्ट का अनुपालन अब तक नहीं हो रहा है.
एमसीआइ के मानक अनुसार नर्सिंग होम व क्लिनिक में डॉक्टर को एमबीबीएस की डिग्री तो पैथोलॉजी खोलने के लिए एमडी डॉक्टर का होना अनिवार्य है. इसके अलावा एमसीआइ के मापदंड के अनुसार नर्सिंग होम व क्लिनिक में मरीजों के लिए सारी सुविधाएं उपलब्ध होनी चाहिए, लेकिन इन नियमों की अनदेखी कर नर्सिंग होम, क्लिनिक व पैथोलॉजी का संचालन हो रहा है. मुख्यालय सहित पूरे जिले में संचालित नर्सिंग होम,
क्लिनिक व पैथोलॉजी में डिग्रीधारी डॉक्टर की बात तो दूर वहां कार्यरत कंपाउंडर व नर्स भी फर्जी बताये जा रहे हैं. जबकि एमसीआइ के मानक अनुसार नर्सिंग होम, क्लिनिक व पैथोलॉजी में कार्यरत नर्स को नर्सिंग कोर्स करना अनिवार्य है. हालांकि स्वास्थ्य विभाग ने मानक को पूरा नहीं करने वाले 23 पैथोलॉजी व डायग्नोस्टिक सेंटर पर कार्रवाई करनी शुरू कर दी है.