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नियोजित शिक्षक वेतन के अभाव में परिजन सहित भूखमरी की स्थिति में

लखीसराय : बिहार के चार लाख नियोजित शिक्षक पिछले 17 फरवरी 20 से समान काम समान वेतन एवं अन्य मांगों को लेकर हड़ताल पर हैं. इस बात को लेकर बिहार राज्य प्रारंभिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष राकेश कुंदन एवं सचिव सत्यप्रकाश पासवान ने लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह सांसद चिराग पासवान को एक पत्र मेल […]

लखीसराय : बिहार के चार लाख नियोजित शिक्षक पिछले 17 फरवरी 20 से समान काम समान वेतन एवं अन्य मांगों को लेकर हड़ताल पर हैं. इस बात को लेकर बिहार राज्य प्रारंभिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष राकेश कुंदन एवं सचिव सत्यप्रकाश पासवान ने लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह सांसद चिराग पासवान को एक पत्र मेल पर भेजा है. जिसमें कहा गया है कि लखीसराय में 29 फर्स्ट बिहारी फर्स्ट बिहार कार्यक्रम के दौरान आपके द्वारा समान काम समान वेतन की मांग की आपके द्वारा समर्थन की गयी थी. जबकि बिहार सरकार हड़ताल समाप्त करने के लिए शिक्षक संघों से कोई वार्ता का पहल नहीं किया गया है. कोरोना जैसी महामारी में शिक्षकों ने अपनी तरफ से साबुन, मास्क पूरे बिहार में हजारों टोला मुहल्लों में कोरोना वायरस से बचाव के लिए अभियान चलाया है.

भारत और राज्य सरकार के द्वारा लागू लॉकडाउन का पालन करते हुए शिक्षक अपने-अपने घर में परिवार के साथ हैं, लेकिन जनवरी से मार्च तक वेतन नहीं मिलने के कारण चार लाख शिक्षक समेत 20 लाख परिजन के साथ भूखमरी के स्थिति में है. शिक्षकों के पास न राशि है और न ही राशन उपलब्ध है. भारत सरकार के श्रम मंत्रालय ने घोषणा की है कि कोरोना महामारी को लेकर लॉकडाउन को देखते हुए सरकार एवं प्राइवेट संस्थान के कर्मचारी को तत्काल जनवरी से मार्च तक का वेतन भुगतान किया जाये तथा बाद में राशि सामंजस्य किया जा सकता है, लेकिन बिहार सरकार नियोजित शिक्षकों का वेतन भुगतान नहीं किया गया. जिससे कि सुपौल के नियोजित शिक्षक कमलेश सरदार, बांका के दिगंबर महतो का इलाज के अभाव में मौत हो गया. वहीं आर्थिक अभाव में हवेली खड़गपुर के उपेंद्र कुमार ने आर्थिक अभाव में आत्महत्या कर ली. दोनों शिक्षक नेताओं ने सांसद से मुख्यमंत्री से वार्ता कर पूर्ण वेतनमान एवं तीन महीने का लंबित वेतन भुगतान कराने की मांग की है. शिक्षक नेताओं ने सांसद को भेजे गये मेल को प्रधानमंत्री को भी प्रेषित किया है.

महामारी से बचाव के लिये महिला ने भी प्रारंभ की रामायण पाठ :

कोरोना वायरस का प्रकोप थमने का नाम नहीं ले रहा है, जिसके बचाव के लिये देश-दुनिया के वैज्ञानिक व चिकित्सक नये-नये यत्न की खोज में दिन-रात लगे हुए हैं एवं एहतियात सतर्कता, सुरक्षा व बचाव के उपाय लोगों को बता रहे हैं ताकि जल्द से जल्द महामारी से छुटकारा मिल सके और जनजीवन बहाल हो सके. बावजूद जिस गति से कोरोना का आतंक दुनिया में पैर पसारते जा रहा है, लोग काफी भय व आतंक के साये में जीने को मजबूर है. ऐसी परिस्थिति में ईश्वर का ख्याल आना नाजिमी है और लगता है कि अब वे ही इस काल से रक्षा कर सकते है. इसके लिये पुरुषों की भांति औरतों ने भी देवी-देवता का अराधना शुरू कर दिया है. जहां गत दिनों कोरोना बचाव को लेकर पुरुषों द्वारा प्रखंड हलसी के मतासी गांव में स्थित बाबा सिद्धनाथ मंदिर परिसर में 24 घंटे का अखंड रामायण पाठ शुरू किया गया था.

वहीं पुरुषों के रामायण पाठ समाप्ति के उपरांत औरतों द्वारा भी अखंड 24 घंटे का रामायण पाठ प्रारंभ कर दिया गया है. रामायण पाठ करते रेखा देवी ने कहा कि जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित पांच अप्रैल रविवार की रात्रि 09 बजे से 09 मिनट तक अपने-अपने घरों में लाइट ऑफ करके खिड़की, दरवाजे व छत पर दीप, मोमबत्ती, टार्च व मोबाइल का फ्लैशलाइट जलाकर पुरुषों के साथ औरतों ने भी एकजुटता का परिचय दिया. वहीं देवी-देवता की आराधना में भी महिला पुरुष से पीछे नहीं है.

उन्होंने कहा कि हम देवी-देवता का भी आराधना करेंगे व सरकार तथा विश्व स्वास्थ्य संगठन के निर्देश का भी पालन करेंगे. वहीं रामायणी कंचन देवी, रंजना देवी व प्रतिमा देवी ने भी संयुक्त रूप से कहा कि हमलोग अपने-अपने घरों में विशेष साफ-सफाई रखते हुए परिवार वालों को ताजा भोजन करने, गर्मजल पीने के साथ-साथ अपने घर में ही दूरी बनाकर रहते हुए साबुन से हाथ प्रत्येक घंटे पर धोकर कोरोना से लड़ने का जंग जारी रखे हुए हैं और तब तक जारी रखेंगे जब तक कोरोना को देश-दुनिया से भगा नहीं देते.

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