अक्तूबर के अंतिम माह तक हुई बारिश के कारण विलंब से सब्जी व दलहन-तिलहन की हुई बुआई
लखीसराय. नवंबर माह का आधा से अधिक समय बीत जाने के बावजूद हरी सब्जियों की फसल तैयार नहीं हो पाई है. इसी वजह से स्थानीय बाजारों में सब्जियों के दाम लगातार ऊंचे बने हुए हैं, जिससे आम लोगों की जेब पर सीधा असर पड़ रहा है. हरी धनिया की पत्ती 200 रुपये किलो, हरा मटर 300 से 400 रुपये किलो, टमाटर 60 रुपये किलो, बैंगन 30 से 60 रुपये किलो, कद्दू और गोभी 30 से 50 रुपये प्रति पीस के भाव से बिक रहे हैं. आमतौर पर नवंबर महीने के शुरुआती सप्ताह में हरी सब्जियों की नई फसल बाजार में आ जाती है, जिससे इन दिनों सब्जियों के दाम कम हो जाते थे और लोगों को राहत मिलती थी. छठ पूजा तक अधिकतर हरी सब्जियां उपलब्ध हो जाती थीं. लेकिन इस वर्ष मौसम ने पूरी स्थिति बदल दी. दुर्गा पूजा के बाद तक बरसात जैसे हालात बने रहे, जिसके कारण किसानों की पहले की गयी सब्जी बुआई प्रभावित हुई और कई जगह फसल बर्बाद हो गयी. खेतों में लंबे समय तक पानी जमा रहने से किसानों को देरी से बुआई करनी पड़ी. नतीजतन फसल भी देर से तैयार हो रही है. केवीके हलसी के वैज्ञानिक सुधीर चंद्र ने बताया कि खेतों में अधिक नमी के कारण समय पर सब्जियों की रोपाई नहीं हो सकी. देर से रोपाई होने का साफ असर फसल तैयार होने की अवधि पर पड़ा है. उन्होंने बताया कि इस बार तिलहन और दलहन की फसलें भी देरी से बोई गयी हैं. टाल क्षेत्रों में लंबे समय तक जलजमाव की स्थिति बनी रही, जिससे सब्जियों के साथ-साथ अन्य फसलों के तैयार होने में भी विलंब हो रहा है. इसके चलते बाजार में सब्जियों की कमी बनी हुई है और उनके दाम फिलहाल नीचे आने के आसार नहीं दिख रहे हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

