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कीमती पत्थरों का अवैध धंधा कर पत्थर माफिया हो रहे हैं मालामाल

कीमती पत्थरों का अवैध धंधा कर पत्थर माफिया हो रहे हैं मालामाल चंद्रमंडीह . ब्लू स्टोन, टरमुलिन, टोपाज, अभ्रक समेत अन्य कई ऐसे पत्थर हैं, जिनका उपयोग फैंसी जेवरात, मूर्तियां व अन्य सजावटी वस्तुओं के निर्माण में किया जाता है. चकाई प्रखंड मुख्यालय से महज 15 किलोमीटर दूरी पर स्थित बकसिला, दोमुहान, नारोदह, चिहरा, बेलखरी […]

कीमती पत्थरों का अवैध धंधा कर पत्थर माफिया हो रहे हैं मालामाल चंद्रमंडीह . ब्लू स्टोन, टरमुलिन, टोपाज, अभ्रक समेत अन्य कई ऐसे पत्थर हैं, जिनका उपयोग फैंसी जेवरात, मूर्तियां व अन्य सजावटी वस्तुओं के निर्माण में किया जाता है. चकाई प्रखंड मुख्यालय से महज 15 किलोमीटर दूरी पर स्थित बकसिला, दोमुहान, नारोदह, चिहरा, बेलखरी आदि दर्जनों जंगली ईलाकों में इन पत्थरों का जखीरा है़ यहां से प्रतिदिन बड़ी संख्या में मजदूर चोरी छिपे इन पत्थरों को निकाल कर पत्थर माफियाओं तक पहुंचाते हैं. इनकी बदौलत पत्थर माफिया और उन्हें संरक्षण देने वाले मालामाल हो रहे हैं. खनन विभाग की लापरवाही व सरकार की उदासीनता के कारण इन कीमती पत्थरों के खनन के लिए नीति तक नहीं बनीं. जानकारों की माने तो सरकार इन खदानों का उपयोग विधिवत करें, तो कई लोगों को रोजगार मिल सकता है और सरकार को काफी मात्रा में राजस्व प्राप्त होगी. चकाई प्रखंड की धरती में बेरिल पत्थर भी मौजूद है. जिसकी कीमत एक से पांच लाख रुपये किलो है. इसके अलावा यहां से फेलस्फेर (सफेद पत्थर) का भी अवैध उत्खनन हो रहा है़ टरमुलिन पत्थर एक लाख रुपये किलो, ब्लू स्टोन पचास हजार से लाखों रुपये किलो तक बिकता है़ चकाई प्रखंड में इन पत्थरों का कारोबार प्रतिदिन लाखों का है, जो अवैध है. उपरोक्त सभी जगहों पर राजनीतिक स्तर पर पूरा खनन कार्य हो रहा है़ इन कीमती पत्थरों का खनन काफी खतरनाक तरीके से किया जाता है़ खदानों में काफी गहरायी तक जाकर इन पत्थरों को निकालना होता है़ ऐसे में मजदूरों की जिंदगी दांव पर लगी होती है. कहते हैं वनों के क्षेत्र पदाधिकारी इस बाबत चकाई रेंजर नरेश प्रसाद से पूछे जाने पर बताया कि चकाई में खनन विभाग के पदाधिकारी नहीं रहने के कारण यहां चोरी छुपे पत्थर माफियाओं ने स्थानीय लोगों की सांठ-गांठ से अवैध पत्थर का उत्खनन करते हैं. लेकिन सूचना मिलने पर पुलिस की मदद से इन लोगों के ऊपर अंकुश लगाया जायेगा.

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