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घोसीकुंडी पहाड़ पर भी बौद्ध महाविहार के मिले प्रमाण

लखीसराय : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर जिला मुख्यालय स्थित लाली पहाड़ी पर पांच महीनों के दौरान खुदाई में मिले बौद्ध महाविहार के भग्नावशेषों का निरीक्षण किया. इसके बाद सीएम ने जल संसाधन मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह, श्रम संसाधन मंत्री विजय कुमार सिन्हा सहित वहां मौजूद […]

लखीसराय : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर जिला मुख्यालय स्थित लाली पहाड़ी पर पांच महीनों के दौरान खुदाई में मिले बौद्ध महाविहार के भग्नावशेषों का निरीक्षण किया. इसके बाद सीएम ने जल संसाधन मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह, श्रम संसाधन मंत्री विजय कुमार सिन्हा सहित वहां मौजूद वरीय पदाधिकारियों और कला, संस्कृति एवं युवा मंत्रालय के पदाधिकारियों के साथ बैठक की.
इस दौरान खुदाई कार्य की मॉनीटरिंग कर रहे प्रो अनिल कुमार ने सीएम को बताया कि लाली पहाड़ी के ठीक सामने किऊल नदी के पार घोसीकुंडी पहाड़ है. वहां भी बौद्ध महाविहार होने के प्रमाण मिले हैं. यदि लाली पहाड़ी और घोसीकुंडी के बीच किऊल नदी पर पुल का निर्माण कर दिया जाये तो पुरातत्व की दृष्टि से भी काफी उपयोगी होगा और लोगों को दोनों जगहों को देखने में आसानी होगी. जिस पर सीएम ने इस संबंध में प्रस्ताव भेजने को कहा और पुल निर्माण कराने पर अपनी सहमति दी.
सीएम ने कहा कि लाली पहाड़ी, घोसीकुंडी और बिच्छे पहाड़ी को पुरातात्विक दृष्टि से जोड़ा जाये. सीएम के रवाना होने के बाद श्रम संसाधन मंत्री विजय कुमार सिन्हा, कला, संस्कृति एवं युवा मंत्रालय के प्रधान सचिव चैतन्य प्रसाद ने एक प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि सीएम ने लखीसराय के पुरातात्विक दृष्टि से चिह्नित सात स्थलों को राष्ट्रीय धरोहर के रूप में सुरक्षित रखने की बात कही है. लखीसराय में खुदाई से मिलने वाली पुरातात्विक वस्तुओं के संग्रह के लिए संग्रहालय निर्माण के लिए अशोक धाम मंदिर के पास दो एकड़ जमीन को चिह्नित किया गया, जल्द ही वहां संग्रहालय बनाया जायेगा.
बौद्ध भिक्षुओं के लिए काफी सुरक्षित कक्षों का हुआ था निर्माण
प्रो अनिल कुमार ने सीएम को बताया कि बौद्ध भिक्षुओं के रहने के लिए यहां काफी सुरक्षित कक्षों का निर्माण किया गया था. खुदाई से मिलने प्रमाणों के अनुसार यहां कक्ष एक दूसरे से जुड़े थे और बाहर वाच टावर भी बनाया गया था, जिससे सुरक्षा की दृष्टि से निगरानी की जाती होगी.
उन्होंने सीएम को खुदाई के दौरान मिले दो वाच टावरों को भी दिखाया. वहीं ड्रेनेज सिस्टम को भी सीएम को दिखाया गया और बताया गया कि उस समय भी अंडरग्राउंड ड्रेनेज सिस्टम हुआ करता था. खुदाई स्थल के निरीक्षण के बाद सीएम खुदाई के दौरान मिले सामग्रियों की लगायी गयी प्रदर्शनी को भी देखा और प्रत्येक चीजों के संबंध में जानकारी प्राप्त की.
महाप्रणाल देख आश्चर्यचकित हुए सीएम
इसके पूर्व निरीक्षण के दौरान सीएम ने लाली पहाड़ी के उत्तरी भाग में मिले जलनिकासी सिस्टम (महाप्रणाल) को देख आश्चर्य व्यक्त किया. उन्होंने कहा कि 10वीं-12वीं सदी में भी हमारा समाज काफी उन्नत रहा होगा. आज महाप्रणाल देखने से यह प्रतीत हो रहा है. उन्होंने बारी-बारी से खुदाई कार्य के प्रत्येक स्थल का निरीक्षण किया और खुदाई कार्य की मॉनीटरिंग कर रहे कला, संस्कृति एवं युवा मंत्रालय की बिहार विरासत विकास समिति के कार्यपालक निदेशक विजय कुमार चौधरी और विश्व भारती शांतिनिकेतन विश्वविद्यालय पश्चिम बंगाल के प्राचीन इतिहास एवं पुरातत्व विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो अनिल कुमार से खुदाई से मिली पूरी जानकारी ली.

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