लखीसराय : अनाज व सब्जी उत्पादक किसानों द्वारा सस्ती जाइम व दवा का छिड़काव करने से खेत के मित्र कीट व मानव के शरीर पर बुरा असर होता है. राजेंद्र कृषि विश्वविद्यालय के धर्मेंद्र कुमार ने बताया कि जिस तरह किसान बिजनेस के खातिर अधिक उत्पादन को लेकर लोकल व सस्ता जाइम खरीद कर अपने अपने खेत में छिड़काव करते हैं. उससे वह तीन वर्ष तक खेत से अच्छी पैदावार ले सकते हैं. लेकिन उसका बुरा असर होता है. लोकल जाईम मे ऑक्सीटॉसिन सूई का अधिक उपयोग होता है.
कोई भी किसान इस जाइम को मात्र 30 रुपये में बना सकता है और यूरिया के साथ छिड़काव कर सकता है. जिससे पैदावार अच्छी हो सकती है. उन्होंने इसे बनाने के तरीका के बारे में बताते हुए कहा कि एक बालटी में 20 लीटर पानी लेकर 10 किलो बालू और 30 ऑक्सीटॉसिन सूई डाल कर घोल बना कर यूरिया के साथ छिड़काव करेंगे तो उतना ही फायदा होगा,लेकिन उसका बुरा असर मित्र कीट पर पड़ता है. उसका प्रजनन क्षमता घट जाता है. वहीं अनाज व सब्जी को मनुष्य के खाने पर वह नृपशंख हो जाता है. इसलिए जैविक जाइम का प्रयोग जो पूसा से सत्यापित है उसका प्रयोग करें तो कोई बुरा असर नहीं पड़ेगा.