लखीसराय : किऊल कंट्रोल रूम के कारनामे किसी हादसे को आमंत्रित कर रहा है. कंट्रोल रूम द्वारा पहले से खड़ी ट्रेन के खुलने का सिंग्नल लोअर उस वक्त किया जाता है, जब अप व डाऊन ट्रैक पर कोई ट्रेन आकर प्लेटफॉर्म से खुलने वाली होती है. जिन यात्रियों को ट्रेन पकड़ना होता है वे ट्रेन के धीरे होने का इंतजार भी नहीं करते और दौड़ कर दूसरे नंबर पर खुलने वाली ट्रेन को पकड़ते हैं. ऐसे यात्री प्लेटफॉर्म के गड्ढे और ऊंचाई भी नहीं देख पाते हैं.
इस तरह की घटना से किऊल जंक्शन पर कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है, हालांकि कई बार एक-दो यात्री के साथ घटना घट चुकी है. हाल ही के दिन में एक महिला की मौत ट्रेन पकड़ने के चक्कर में हो चुकी है. उस घटना में महिला की गोद में रहे बच्चे की जान तो बच गयी, लेकिन मां की मौत हो गयी. 6 सितंबर को ही बाघ एक्सप्रेस से उतर कर सीतामढ़ी में कार्यरत एक बिहार पुलिस के एसआइ प्रमोद कुमार मुंगेर जमालपुर की ओर जाने वाली ट्रेन को पकड़ने के चक्कर में घायल हो गये.
किऊल से धरहरा जाने वाले व शिक्षक सुबोध कुमार सिंह बताते हैं कि वे प्रतिदिन अपने विद्यालय जाते हैं. प्राय: यह देखा गया है कि लगभग 10 बजे दिन में उनकी ट्रेन डीएमयू धरहरा के लिए खुलती है . इस बीच धनबाद से पाटलीपुत्रा व पटना से आने वाली प्लटेफॉर्म पर ट्रेन रुकते ही किऊल भागलपुर ट्रेन को खोल दिया जाता है. इस रूट में कम ट्रेन होने के कारण भागलपुर डीएमयू को लोग दौड़ कर पकड़ते हैं. अगर पटना से आने वाली ट्रेन डाउन ट्रैक पर रुकती है तो प्लेटफॉर्म ऊंचा होने के कारण अप ट्रैक की ट्रेन पकड़ने में खास कर बुजुर्ग, बच्चे और महिलाओं को काफी तकलीफ होती है. डाउन लाइन की प्लेटफॉर्म अप लाइन से काफी ऊंचा है. इस पर ट्रेन पकड़ने के लिये यात्रियों को रेल पटरी क्रॉस करना पड़ता है. इस तरह की जोखिम खास कर उन यात्रियों को उठाना पड़ता है जो पटना से या धनबाद वाली ट्रेन से उतर कर गया और जमालपुर रेल रूट की ट्रेन पकड़ना चाहते हैं.