किशनगंज. जीवन के इस दौड़ में अध्यात्म हाईटेक होता जा रहा है. लेकिन जीवन को सफल बनाना है तो एक अध्यात्मिक गुरू की अनिवार्यता है. लेकिन शिव गुरू से अच्छा और सबल गुरू कौन हो सकता है. शिव शिष्यता एक संंपूर्ण अध्यात्म है, जो एक विचार भी है और शिव जन-जन के भगवान भी हैं. भगवान ही मेरा गुरू हो जाए. यह हमारा शौभाग्य भी है. सोमवार को शहर के डुमरिया भठ्ठा में शिव शिष्य परिवार किशनगंज के तत्वावधान में आयोजित एक दिवसीय शिव गुरू महोत्सव में शिव शिष्य परिवार मुख्यालय, झारखंड रांची से पधारे रामेश्वर मंडल ने उक्त बातें कही. उन्होंने कहा कि इस काल खंड में शिव शिष्यता के जनक साहब हरीन्द्रानंद जी का संकल्प धरती का प्रत्येक व्यक्ति शिव का शिष्य हो जाए और मानव जीवन शिवमय हो, मंगलमय हो, इस संकल्प को आगे बढ़ाने के लिए आपके बीच आए हैं. रामेश्वर मंडल ने कहा कि शिव की शिष्यता एक विचार है. साहब हरीन्द्रानंद जी का एक शिष्यानुभुति है. उन्होंने ही इस कालखंड में भगवान शिव को ही अपना गुरू माना और तीन सूत्र के माध्यम से शिव गुरू को गुरू माना जा सकता हैं वह तीन क्या है आप सब जानते हैं कि पहला विधा में दया मांगना, हे शिव आप मेरे गुरू हैं मैं आपका शिष्य/शिष्या हूं, मुझ पर दया करें. वहीं दूसरा जो गुरू का आदेश है कि प्रत्येक व्यक्ति को शिव का शिष्य बनाने के लिए चर्चा करें एवं तीसरे में नम:शिवाय से अपने गुरू शिव को प्रणाम करें. इसी कड़ी में इसके पूर्व में भागलपुर से आए गुरू भाई राम नारायणजी, बबलूजी इत्यादि गुरू भाई-बहनों ने शिव शिष्यता के उद्देश्य पर विचार रखा और गुरू भजन इत्यादि की प्रस्तुति की गयी. मंच संचालन उदयजी ने की. आयोजन व्यवस्था में राजा, शीला गुरू बहन इत्यादि सक्रिय रहे. शहर के विभिन्न जगहों से शिव शिष्य शिष्या सहित शिव में आस्था रखने वालों भीड़ उमड़ पड़ी. जिसमें महिलाओं की संख्या अत्यधिक दीखीं.
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