18.4 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

अब निजी विद्यालयों की मनमानी नहीं चलेगी, नये कानून से लगेगा अंकुश

किशनगंज : बिहार में अब निजी विद्यालयों की मनमानी नहीं चलेगी. उनकी मनमानी पर नकेल कसने के लिए राज्य सरकार ने कानून बना दिया है. प्रदेश में निजी स्कूलों द्वारा भारी और मनमानी शुल्क वृद्धि के संबंध में अभिभावकों और सामाजिक संगठनों से मिली शिकायतों के बाद राज्य सरकार द्वारा बनाये गये कानून के बाद […]

किशनगंज : बिहार में अब निजी विद्यालयों की मनमानी नहीं चलेगी. उनकी मनमानी पर नकेल कसने के लिए राज्य सरकार ने कानून बना दिया है. प्रदेश में निजी स्कूलों द्वारा भारी और मनमानी शुल्क वृद्धि के संबंध में अभिभावकों और सामाजिक संगठनों से मिली शिकायतों के बाद राज्य सरकार द्वारा बनाये गये कानून के बाद आम लोगों ने राहत की उम्मीद की है.

बताते चले इस विधेयक में निजी स्कूलों द्वारा वसूली जाने वाली हर तरह की फीस को विनियमित करने के लिए और पटना उच्च न्यायालय के अगस्त 2018 में पारित आदेश के आलोक में सरकार ने शुल्क को विनियमित करने के लिए लोगों की भावनाओं को ध्यान रखा है. इस विधेयक का ड्राफ्ट शिक्षा विभाग द्वारा बनायी गयी कमेटी की रिपोर्ट और उसकी अनुशंसाओं के आधार पर तैयार हुआ है.
आरटीई के प्रावधानों के तहत लाया गया है विधेयक बताते चले तत्कालीन शिक्षा मंत्री डॉ अशोक चौधरी ने निजी स्कूलों के संचालन को नियंत्रित करने के लिए अपर सचिव की अध्यक्षता में कमेटी गठित की थी. इस कमेटी के अधिकारियों ने कई राज्यों में प्राइवेट स्कूलों के संचालन और उन पर नियंत्रण का अध्ययन कर अपनी रिपोर्ट तथा अनुशंसाएं शिक्षा विभाग को सौंपी थी.
जानकारों की यदि मानें तो बच्चों को मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा अधिकार कानून (आरटीई) के प्रावधानों के तहत निजी विद्यालयों की नकेल कसने के लिए यह विधेयक लाया गया है. हालांकि आरटीई का दायरा फिलहाल 8वीं कक्षा तक ही है, जबकि निजी विद्यालयों के लिए तैयार हो रहा कानून 10वीं तक संचालित होने वाले प्राइवेट स्कूलों पर भी लागू होगा.
क्या है नये अधिनियम में
बिहार निजी स्कूल (शुल्क विनियमन) विधेयक, 2019 के अनुसार पूर्व शैक्षणिक सत्र की तुलना में स्कूल सभी प्रकार के शुल्क में अधिकतम 7 प्रतिशत तक की वृद्धि स्वयं आवश्यकता अनुसार कर सकते हैं. विधेयक के अनुसार सरकार को समय-समय पर सात प्रतिशत की दर को पुनरीक्षित करने का अधिकार होगा.
निजी स्कूल के शुल्क में सात प्रतिशत से अधिक की वृद्धि होने की स्थिति में तथ्यों के साथ उसे वृद्धि का औचित्य दर्शाना होगा और स्कूल द्वारा सात प्रतिशत से अधिक कोई भी वृद्धि शुल्क विनियमन समिति की विस्तृत जांच के एवं मंजूरी के अधीन होगी.
शुल्क विनियमन समिति का गठन प्रमंडलीय आयुक्त की अध्यक्षता में की जायेगी और उसके सदस्य सचिव क्षेत्रीय शिक्षा उपनिदेशक तथा सदस्यों में प्रमंडलीय मुख्यालय के जिला शिक्षा पदाधिकारी, प्रमंडलीय आयुक्त द्वारा नामित जिलों के निजी विद्यालयों के दो प्रतिनिधि एवं दो अभिभावक होंगे.
निजी विद्यालय के लिए बनाये गये इस अधिनियम और इसके अधीन बनायी गयी नियमावली और अधिसूचना के किसी प्रावधान का उल्लंघन करने पर प्रथम अपराध के लिए अधिकतम एक लाख रुपये एवं आगामी प्रत्येक अपराध के लिए दो लाख रुपये तथा निर्धारित दंड एक माह के भीतर नहीं जमा करने अथवा बार-बार नियमों का उल्लंघन के लिए दोषी पाये जाने की स्थिति में निजी विद्यालय अथवा सहायता पाने वाले विद्यालय की मान्यता अथवा संबंधन रद्द करने के लिए प्रमंडलीय आयुक्त सरकार को अनुशंसा करेंगे.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें