किशनगंज : सदियों से किशनगंज शहर को अपनी अविरल स्वच्छ जलधारा से साफ रखने वाली रमजान नदी आज कचरा, गंदगी से पटी पड़ी है. बारह महीने बहने वाली रमजान नदी की जल धारा अब थम गयी है. नदी की धारा थम क्यों गयी? नदी की धारा को पुनः बहाल करने के लिए आजतक बनी योजना सिर्फ कागजों में सिमट कर रह गयी. वर्षा के कुछ महीने में ही रमजान नदी पानी से लबालब रहता है. तीन चार महीने बाद नदी गंदे नाले में तब्दील हो जाती है.
शहर के बीचों बीच बहने वाली रमजान नदी के दोनों किनारों पर भू माफियाओं ने अतिक्रमण कर रखा है. जिसके कारण कभी कल कल बहने वाली नदी आज गंदे नाले में तब्दील हो गया है़ जिले की लाइफ लाइन कही जाने वाली रमजान नदी को अतिक्रमण मुक्त कराने के लिए कई बार प्रशासनिक पदाधिकारियों द्वारा प्रयास किया गया है लेकिन रमजान नदी को अतिक्रमण मुक्त कराने में वे असफल रहे है़ं शहर के बीचोबीच करीब आठ किमी बहने वाली यह नदी कुछ दशक पहले शहर की शान थी और आज भी है. लेकिन कुछ स्वार्थी लोगों के कारण यह नदी धीरे धीरे दम तोड़ती नजर आ रही है.
किशनगंज शहर सूबे में एक मात्र शहर होगा जिसके बीचोबीच नदी बह रही हो. शहर के ठीक बीच से बहने वाली रमजान शहर को दो भागों में बांटती है. यह नदी अपने अतीत में शहर की पहचान के साथ साथ इसके किनारे दर्जनों बस्तियों को बसाया. नदी किनारे बसी बस्तियां ही नदी के लिये शाप बन गयी. इतनी सुंदर नदी आज बेरंग और बेहाल है. साल दर साल नदी को साफ करने की बात शासन और प्रशासन स्तर से जरूर होती है. लेकिन देखते देखते कई बरसात चले गए. हर मोर्चे के लिये लोग आंदोलन, धरना करते हैं. लेकिन शहर के इस पवित्र रमजान नदी के लिये कोई आगे नही आता दिख रहा.जिले में दर्जनों सामाजिक संग़ठन रहते हुए भी रमजान नदी बेबश नाले में तब्दील होती जा रही है. स्थानीय लोगों की माने तो किशनगंज शहर से उत्तर मोतिहारा तालुका पंचायत के टुपामारी गांव के नजदीक डोक नदी के कटाव से उत्पन्न हुआ है. बारिश के पानी के वजह से यह नदी विकराल होती गयी.डोक नदी के कटाव और जल स्तर बढ़ने से रमजान नदी में सालभर बहती थी. करीब 10 वर्ष पूर्व डोक नदी की धारा बदलने से नदी की मुहाने पर बालू जमा हो गया. जिससे रमजान नदी सर्फ बारिश पर ही निर्भर हो गयी. स्थानीय लोग आज भी नदी के विलुप्त होने को लेकर चिंतित है. रमजान अपने उदगम स्थल से करीब 180 किलोमीटर सफर तय करती हुई बारसोई के पास महानंदा नदी में जाकर मिलती है.