परबत्ता. प्रखंड के नयागांव शिरोमणि टोला में स्थित दुर्गा मंदिर में ढ़ाई दर्जन से अधिक महिलाएं निर्जला उपवास पर हैं. इन सभी भक्तों की मन्नत मां ने पूरी की है. शिरोमणि टोला नयागांव में 1937 में मूर्ति पूजन प्रारंभ हुआ, जो अनवरत चली आ रही है. वैदिक रीति रिवाज से मां दुर्गा का पूजन श्रद्धालु श्रद्धा, भक्ति के साथ करते हैं. धीरे-धीरे नयागांव शिरोमणि टोला में स्थित मां दुर्गा के प्रति लोगों का विश्वास बढ़ता गया, जो आगे चलकर सिद्धपीठ हो गया. संतान प्राप्ति के लिए नयागांव शिरोमणि टोला की मां भगवती विख्यात है. जिसकी मां मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं. वैसे श्रद्धालु माता को चढ़ावा चढ़ाते हैं. कोई सोना तो कोई चांदी यथाशक्ति तथा भक्ति के अनुसार भक्त मां के प्रति आस्था रखते हैं.
निर्जला उपवास में हैं ढाई दर्जन से अधिक भक्त
निर्जला व्रत करने वाले भक्त मां के प्रथम पूजन के दिन से ही मंदिर प्रांगण में रहते है. मां की प्रतिमा विसर्जन उपरांत ही जल और अनाज ग्रहण करते हैं. इस बार ढाई दर्जन से अधिक महिलाएं निर्जला उपवास पर हैं. जिसमें बभनगामा की भवानी देवी, बेगूसराय की शैल देवी, रीता देवी, कन्हैयाचक की प्रभा देवी, मीना देवी, बुचो देवी, मुंगेर की अनामिका कुमारी, कटिहार की नेहा देवी, लौगैय की मोनी देवी, फुदकीचक की साधना रॉय, चकप्रयाग की भवानी देवी, नयागांव शिरोमणि टोला की अनीता देवी, शैल देवी रोली, कुमारी सुभद्रा देवी ध्यान देवी, परी देवी, वीणा देवी, पुष्पा देवी, सुनीता देवी, मोनी देवी, सोनी देवी, सुनैना देवी, रिंकू देवी, लक्ष्मी देवी, लालदाय देवी, नुनु देवी, सरिता देवी, रंभा देवी, देवता देवी, निशा देवी, कुमार ध्रुव शामिल हैं. बताते चले कि पंडित द्वारा सभी निर्जला उपवास करने वाली महिला के हाथों में रक्षा सूत्र बांधें हैं. साथ ही प्रत्येक दिन पंडित द्वारा कथा सुनाई जाती है. नयागांव शिरोमणि टोला द्वारा ही हर वर्ष चंदा इकट्ठा किया जाता है, जो मंदिर निर्माण और मंदिर विकास के कार्यों में लगाया जाता है. हर वर्ष दुर्गा समिति का गठन किया जाता है. कबेला गांव निवासी विजय कलाकार द्वारा प्रतिमा बनाई जाती है. खबर लिखे जाने तक प्रतिमा का अंतिम रूप दिया जा रहा था. मूर्ति पूजन के साथ साथ अखाड़ा का भी आयोजन शिरोमणि टोला के ही लोगों द्वारा प्रारंभ किया गया. जिसकी शुरुआत टोले के ही निवासी ख्याति प्राप्त बाबूलाल पहलवान द्वारा अखाड़ा की नींव रखी गयी. जहां पर दूसरे प्रांतों से भी हर साल अखाड़े पर कुश्ती में अपनी जोर आजमाइश करने के लिए और लोगों का मनोरंजन करने के लिए आते हैं. लेकिन पहले वाली उमंग में कमी आयी है. वहीं मेला में चार चांद लगाने के लिए मीना बाजार लगाया जाता है. रात्रि में श्री शिरोमणि नाट्य कला परिषद द्वारा सामाजिक आधारित नाटक प्रस्तुत किया जाता है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

