गोगरी. गर्मी बढ़ने के साथ ही लोगों को देशी फ्रीज की आवश्यकता महसूस होने लगी है. विद्युत कटौती के कारण निम्न आय वर्गीय परिवार में प्यास बुझाने के लिए देशी फ्रीज घड़ा-सुराही ही एकमात्र सहारा रह गये हैं. जिनकी लोगों द्वारा आवश्यकतानुसार खरीदारी की जा रही है. गर्मी में मांग बढ़ने पर मिट्टी के बर्तन विक्रेताओं द्वारा जगह-जगह प्रदर्शनी लगाकर इसकी बिक्री की जा रही है. जहां पर 75 से लेकर 100 रुपये तक की कीमत में यह उपलब्ध है. राजेश पंडित ने बताया कि मिट्टी से बने घड़ा-सुराही का ठंडा पानी सेवन करने से कोई नुकसान नहीं है. जबकि बाजार में मिलने वाली कच्ची बर्फ और फ्रीज का ठंडा पानी पीने से लोग सर्दी, जुकाम, बुखार जैसी बीमारियों से ग्रसित हो सकते हैं. घड़ा, सुराही आसानी से उपलब्ध भी हो जाता है. इसी के मद्देनजर निम्न आय वर्गीय परिवार के लोगों द्वारा गर्मी की शुरूआत होते ही घड़ा-सुराही की खरीददारी शुरू कर दी गई है. विद्युत कटौती में भी घड़ा-सुराही का ठंडा पानी आसानी से उपलब्ध हो सकता है. इसी विशेषताओं को देखते हुए लोग गर्मी को ध्यान में रखते हुए घड़ा- सुराही खरीद रहे हैं. विक्रेताओं ने जगह-जगह प्रदर्शनी लगाकर बिक्री शुरू कर दी है. मिट्टी के बर्तन बेचने वाले कृष्णनंदन पंडित ने बताया कि गर्मी बढ़ने के साथ ही घड़ा, सुराही की बिक्री में तेजी आयी है. लोग एक साथ दो-तीन घड़े खरीदकर ले जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि उसके यहां 75 से लेकर 100 रुपये तक के घड़ा एवं सुराही उपलब्ध है. कहा कि आज कल लोगों पर फैशन का प्रभाव होने के कारण घड़ा की अपेक्षा सुराही को अधिक पसंद किया जा रहा है.
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