गोगरी. अनुमंडल सहित जिले के सरकारी प्रारंभिक स्कूलों में कक्षा एक से आठ में मध्याह्न भोजन (एमडीएम) खिलाने के बाद इसका प्रतिवेदन भी तैयार करना पड़ रहा है. यह प्रतिवेदन रोजाना अनिवार्य तैयार किया जायेगा. कुछ स्कूलों ने तो शुरू भी कर दिया है़ जबकि कई स्कूलों को अभी शुरू करना है. प्रतिवेदन प्रमाण पत्र पर न केवल स्कूल के प्रधानाध्यापक/प्रधान शिक्षक, बल्कि स्कूल में उपस्थित हुए सभी शिक्षक को हस्ताक्षर करना अनिवार्य किया गया है. प्रपत्र पर अगर कोई शिक्षक हस्ताक्षर नहीं करता है, तो उसे उस दिन में अनुपस्थित माना जायेगा. शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस सिद्धार्थ ने इससे संबंधित एक आधिकारिक पत्र सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को कुछ दिन पूर्व ही भेजा था. इसमें यह साफ कर दिया है कि प्रतिवेदन गलत पाये जाने पर सहमति व्यक्त करने वाले शिक्षकों पर कार्रवाई की जायेगी. अपर मुख्य सचिव सिद्धार्थ ने दो टूक कहा कि मध्याह्न भोजन वितरण के लिए यही प्रपत्र मान्य होगा. कोई शिक्षक असहमत है तो लिखना होगा अपर मुख्य सचिव के पत्र में स्पष्ट किया गया है कि इस कदम का मसकद माध्याह्न भोजन योजना में फर्जी उपस्थिति रोकने और भोजन की गुणवत्ता सुनिश्चित करना ही है. जिला शिक्षा पदाधिकारी से कहा गया है कि जिन स्कूलों में स्वयंसेवी संस्थाएं मध्याह्न भोजन का वितरण करती हैं, उनका भुगतान स्कूलों में रोजाना तैयार किये जाने वाले प्रपत्र प्रमाणपत्र के आधार पर हर महीने के अंत में ही किया जायेगा. संबंधित प्रपत्र संरक्षित करके विद्यालय में रखा जायेगा. अगर किसी भी तिथि को संचालित मध्याह्न भोजन की गुणवत्ता और मात्रा या बच्चों की संख्या से कोई शिक्षक असहमत है तो वह अपनी असहमति का कारण संबंधित प्रमाणपत्र में लिखना होगा. हजारों बच्चे मध्याह्न भोजन के दायरे में प्रपत्र में कक्षा एक से आठवीं तक अलग-अलग मध्याह्न भोजन करने वाले बच्चों की संख्या, प्रत्येक शुक्रवार को अंडा व मौसमी फल खाने वाले बच्चों की संख्या दर्ज की जायेगी. इस प्रपत्र में विद्यालय में शिक्षकों की संख्या के हस्ताक्षर के लिए भी जगह होगी. साथ ही प्रपत्र में असहमति जताने वाले शिक्षक को कारण बताने के लिए जगह भी तय की गयी है. बता दें कि जिले में हजारों बच्चे एमडीएम के दायरे में हैं.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है