परबत्ता. उच्च न्यायालय के निर्देश पर परबत्ता थाना क्षेत्र के उदयपुर गांव में शनिवार को प्रशासनिक अधिकारी जमीन को खाली कराने पहुंचे. प्रशासनिक टीम जैसे ही कार्रवाई शुरू करने की तैयारी में जुटी, वैसे ही स्थानीय पर्चाधारियों ने इसका कड़ा विरोध करना शुरू कर दिया. जानकारी के अनुसार प्रशासनिक टीम उदयपुर गांव में एक भूमि को खाली कराने पहुंची थी. लेकिन पर्चाधारी लोगों का कहना है कि उन्हें वर्षों पूर्व सरकार की ओर से खेती के लिए पर्चा (जमीन का आवंटन) दिया गया था. इसको लेकर दोनों पक्षों के बीच नोकझोंक की स्थिति बनी रही. हालांकि प्रशासन भारी पुलिस बल के साथ जमीन को खाली कराने में कामयाब रही. पर्चाधारी भरत दास, रामदेव दास, अनुज दास, असर्फी पासवान, बासू पासवान आदि ने कहा कि 1975 में उदयपुर सहित अन्य गांव के दर्जनों दलित परिवार को उक्त जमीन खेती करने के लिए सरकार द्वारा दिया गया था. जो जमीन हमलोगों के कब्जे में था एवं रसीद भी कटवा रहे थे. आखिर प्रशासन दलित परिवार से जमीन को क्यों छीन रही है. जिला परिषद सदस्य जयप्रकाश यादव ने कहा कि एक तरफ सरकार दलित और महादलित उत्थान की बात कह रही है. दूसरी ओर के उदयपुर कज्जलवन, गोढियासी के दलित परिवार की पर्चा वाली जमीन को प्रशासन खाली करवा कर जमींदारों के हाथ में सौंप रही है. 50 वर्ष पुरानी पर्चा की जमीन जो सरकार ने दी थी जिसका अद्यतन रसीद भी पर्चाधारी के पास है. फिर भी जमीन उनसे छीन लिया गया. ज़मीन मुक्त कराने में एडीएम , डीएसपी रमेश कुमार, सीओ मोना गुप्ता, थानाध्यक्ष अरविंद कुमार सहित भारी संख्या में पुलिस बल मौजूद थे. कहते हैं सीओ परबत्ता अंचलाधिकारी मोना गुप्ता ने कहा कि उच्च न्यायालय के निर्देश पर जमीन को खाली कराकर भूस्वामी को सौंप दिया गया है.
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