गोगरी. नगर परिषद क्षेत्र के वार्ड नंबर 22 स्थित माली टोला रोड में वार्ड पार्षद रंजीत मालाकार के आवास पर ज्योतिबा फुले हर्षोल्लास पूर्वक मनायी गयी. सभी सदस्यों ने उनके तैल चित्र पर पुष्प अर्पित किया. जिसकी अध्यक्षता निषाद संघ के जिलाध्यक्ष पूर्व प्रधानाध्यापक नरेश प्रसाद सिंह ने किया. कार्यक्रम का संचालन गोगरी जमालपुर नगर परिषद के उपमुख्यपार्षद राजेश कुमार पंडित ने किया. ज्योतिबा फूल के जीवन पर प्रकाश डालते हुए वार्ड पार्षद रंजीत कुमार मालाकार ने कहा कि ज्योतिबा फुले माली समाज के थे. जिसका जन्म 11 अप्रैल 1827 ई. में महाराष्ट्र के पुणे में हुआ था. इनके पिता का नाम गोविंद राव फुले था. उस समय हमारे देश में धार्मिक कुरीतियां, छुआ छूत, पाखंडता, ऊंच नीच का भेद भाव चरम सीमा पर था. लेकिन ज्योतिबा फुले ने सभी सामाजिक कुरीतियों का जमकर विरोध किया था. उस समय पति के मृत्यु होने पर पत्नी को जिंदा चिता में झोंक दिया जाता था. ज्योतिबा फुले ने ही खुलकर इस प्रथा का विरोध किया था. अध्यक्षीय भाषण में नरेश प्रसाद सिंह ने कहा कि सन 1848 में फुले ने अछूत वर्ग के लिए पहली पाठशाला स्थापित किया गया था. बालिकाओं के लिए कन्या विद्यालय खोलने वाले हमारे देश के प्रथम समाज सुधारक थे और उनकी पत्नी सावित्री बाई फुले प्रथम महिला अध्यापिका थी. विक्रम गुप्ता ने कहा कि 28 नवंबर 1890 ई. में उनका देहांत हो गया. वर्षों बाद भी भारत में नारी शोषण, दहेज प्रथा, जाति पाती और दलित उपेक्षा जैसी कुरीतियां आज भी हमारे समाज में मौजूद है. मौके पर सतीश मालाकार, गौरव मालाकार, अनिता देवी, विकास मालाकार, मनती देवी, विक्रम गुप्ता, रोशन मालाकार, धीरज मालाकार, अमर मालाकार आदि उपस्थित रहे.
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