मानसी. प्रखंड के सैदपुर पश्चिम टोला में चल रहे सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के पांचवें दिन भगवान श्रीकृष्ण जन्मोत्सव की कथा का रसपान कराया गया. इस अवसर पर कथा वाचिका कल्पना मधुर शास्त्री ने कहा कि जब पृथ्वी पापियों का बोझ सहन नहीं कर पा रही थी, तब सभी देवता ब्रह्मा व शिव के साथ क्षीर सागर में भगवान की स्तुति करने लगे. तब भगवान श्री हरि ने प्रसन्न होकर देवताओं को बताया कि मैं वासुदेव व देवकी के घर कृष्ण रूप में जन्म लूंगा और वृंदावन में मां यशोदा व नंदबाबा के घर बाल लीला करुंगा. इसलिए आप सब भी उस समय धरती पर किसी न किसी रूप में उपस्थित रहना. कथा वाचिका कल्पना मधुर शास्त्री ने कहा कि जब भगवान ने पृथ्वी पर श्रीकृष्णा अवतार धारण किया. देवताओं के साथ स्वयं ब्रह्मा व शिवजी भी भगवान की लीला के साक्षी बने थे. उन्होंने बताया कि इस तरह जब भी पृथ्वी पर कहीं भी भगवान का जन्मोत्सव मनाया जाता है, तो ये सब देवी-देवता भी वहां अवश्य होते है और भगवान के जन्मोत्सव का आनंद लेते है. उन्होंने श्रीकृष्ण के जन्म से पूर्व की कहानी बताते हुए कहा कि कंस ने कृष्ण को मारने के लिए बलवान राक्षसी पूतना को भेजा. पूतना ने वेश बदलकर श्रीकृष्ण को जहरीला दूध पिलाने का प्रयास किया, लेकिन श्रीकृष्ण ने उसे मृत्यु दंड दिया और तब पृथ्वी पर न जाने कितने जन्मों से जीव भगवान की प्रतीक्षा कर रहे थे. इसी तरह जब भगवान का जन्मोत्सव मनाया जाता है और उस जन्मोत्सव में जो भाग लेते है, वे कोई साधारण जीव नहीं होते. वे बहुत पुण्यात्मा होते है. पांचवें दिन की कथा में सभी कार्यकर्ताओं ने आरती की रस्म अदा कर स्वामीजी से सुखमय व भक्तिपूर्ण जीवन का आशीर्वाद लिया. जहां कथा स्थल पर सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु उपस्थित होकर कथा का रसपान किया.
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