चौथम. प्रखंड अंतर्गत रोहियार पंचायत के बंगलिया गांव में अवस्थित मां कात्यायनी स्थान में सोमवार को मां की छठे स्वरूप की विशेष पूजा-अर्चना की गई. इस अवसर पर शक्तिपीठ मां कात्यायनी स्थान में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी. श्रद्धालुओं की भीड़ सोमवार की अल सुबह से ही कात्यायनी स्थान में जुटने लगी. श्रद्धालुओं द्वारा उक्त स्थल पर दुर्गा-सप्तशती का पाठ किया जा रहा था. वहीं परिसर में स्थित विभिन्न मंदिरों में भी श्रद्धालुओं ने पूजा-अर्चना की. बताते चलें कि मां कात्यायनी स्थान में मां के हाथ की पूजा की जाती है. सोमवार और शुक्रवार को वैरागन के अवसर पर भक्तों की भारी भीड़ जुटती है. यहां पूजा-अर्चना को आए खगड़िया निवासी डॉ जैनेन्द्र नाहर, डॉ देव्रत सहित अन्य श्रद्धालुओं ने बताया कि नवरात्र के दौरान षष्ठी को यहां आकर मां कात्यायनी की पूजा करने से शांति मिलती है. इस दिन यहां मां का विशेष आशीर्वाद श्रद्धालुओं को प्राप्त होता है. यहां सोमवार और शुक्रवार को बैरागन मेला लगता है जिसमें पशुपालकों द्वारा दूध का भी चढ़ावा चढ़ाया जाता है. कहा जाता है कि यहां पूजा करने वाले पशुपालकों के पशुधन (गाय, भैंस) बीमार नहीं पड़ते हैं. पशुपालक अपने पशु के दूध का पहला चढ़ावा मां कात्यायनी को ही चढ़ाते हैं. वहीं मां के गर्भगृह में अप्रत्याशित भीड़ की वजह से श्रद्धालुओं को पूजा करने में परेशानी भी उठानी पड़ी. बताया जाता है की कोसी नदी के तट पर स्थित कात्यायनी मंदिर का इतिहास लगभग 300 वर्ष पुराना है, जब श्रीपत महाराज ने एक स्वप्न के बाद देवी कात्यायनी के मिट्टी के मंदिर की स्थापना की थी. जिसके बाद रोहियार पंचायत वासियों और स्थानीय लोगों के सहयोग से भव्य मंदिर का निर्माण कराया गया यह मंदिर देवी सती के शक्तिपीठों में से एक माना जाता है यहां सती का बायां हाथ गिरा था. भक्तों की मान्यता है कि सच्चे मन से मां कात्यायनी की आराधना करने से उनकी सारी मनोकामनाएं पूरी होती है माना जाता है की भगवान कृष्ण को पति रूप में पाने के लिए ब्रज की गोपियों ने भी मां कात्यायनी की पूजा की थी. देवी सती के शरीर के टुकड़ों से बने 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है.
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