गोगरी : जिले के कई थानों को अपना भवन नहीं है. जहां है भी तो वह जर्जर हालत में है. हाल यह है कि दूसरे को सुरक्षा देने वाले खुद ही सुरक्षित नहीं है. यह स्थिति जिले के आधा दर्जन थानों की है. भवन जर्जर होने के कारण कारण पुलिसकर्मियों को भय के साये में ड्यूटी करनी पड़ रही है. थाने को भूमि के अभाव के कारण सामुदायिक भवन अथवा दूसरे अन्य भवनों में संचालित किया जा रहा है. ऐसे थानों की न तो घेराबंदी की गयी है और न ही कोई सुरक्षा व्यवस्था है. नक्सल प्रभावित क्षेत्र में लोगों की सुविधाओं के लिए बनाये गये मोरकाही थाने को अपना भवन नहीं है. यह थाना पंचायत भवन में वर्षों से चल रहा है.
पुलिस बैरक उप स्वास्थ्य केंद्र व तहसील कचहरी के जर्जर भवन में संचालित किया जा रहा है. इसी तरह का हाल नक्सल प्रभावित गंगौर ओपी का भी है. यहां चहारदीवारी नहीं है. दियारा क्षेत्र के दर्जनों गांवों के बीच बनाये गये पौरा ओपी, मड़ैया ओपी भी सामुदायिक भवन में चल रहे हैं. वहीं, मानसी थाना एनएच के रिटायर्ड गोदाम में चल रहा है. भवन जर्जर रहने के कारण बरसात के मौसम में पुलिस बल को काफी परेशानी होती है. जन सहयोग से निर्मित दो कमरे में थाने के ऑफिस का संचालन किया जा रहा है.
भरतखंड ओपी भी पंचायत भवन में चल रहा है. पंचायत भवन में थाने के संचालन के कारण पंचायतों के कार्यों के निष्पादन में पंचायत प्रतिनिधियों को भी परेशानी होती है. पुलिस बल को शस्त्र की सुरक्षा करने में भी परेशानी हो रही है. आराम करने में भी दिक्कत. थानों को भवन का अभाव रहने के कारण ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मियों को रात गुजारने अथवा दिन में आराम करने में काफी दिक्कतें होती हैं. पुलिसकर्मियों ने बताया कि बरसात में रहना तो और मुश्किल हो जाता है. जमीन के अभाव में नक्सल प्रभावित थाना मोरकाही, गंगौर ओपी, पसराहा, मानसी समेत अन्य कई थानों में चहारदीवारी नहीं रहने के कारण थाने की सुरक्षा पर भी प्रश्न चिन्ह लगा हुआ है. भौगोलिक बनावट के कारण मोरकाही थाने को उसके निर्धारित स्थान के बदले माड़र में चलाया जा रहा है.