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गेहूं को खरीदार की दरकार

केंद्र पर लटका ताला. 10 अप्रैल से ही होनी थी खरीदारी 10 अप्रैल से ही गेहूं खरीदारी शुरू होनी थी लेकिन खगड़िया में 23 अप्रैल तक एक भी किलो गेहूं की खरीदारी नहीं हो पायी है. जिसकी वजह से किसान औने-पौने दाम पर अपनी फसल बेचने को मजबूर हैं. खगड़िया : सरकार की घोषणानुसार 10 […]

केंद्र पर लटका ताला. 10 अप्रैल से ही होनी थी खरीदारी

10 अप्रैल से ही गेहूं खरीदारी शुरू होनी थी लेकिन खगड़िया में 23 अप्रैल तक एक भी किलो गेहूं की खरीदारी नहीं हो पायी है. जिसकी वजह से किसान औने-पौने दाम पर अपनी फसल बेचने को मजबूर हैं.
खगड़िया : सरकार की घोषणानुसार 10 अप्रैल से ही गेहूं खरीदारी शुरू होनी था लेकिन खगड़िया में 23 अप्रैल तक एक भी किलो गेहूं की खरीदारी नहीं हो पायी थी. मतलब जिले में अब तक गेहूं की खरीदारी शुरू भी नहीं हो पायी है. जिले में किसानों के हितों की अनदेखी का सिलसिला जारी है. राज्य स्तर से सभी पैक्स को पंचायत स्तर पर तथा व्यापार मंडल को प्रखंड स्तर पर किसानों से गेहूं की खरीदारी करने को कहा गया था. किसानों को उनके गेहूं का उचित दाम मिले इसके लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य पर किसानों से गेहूं खरीदने का एलान हुआ था. लेकिन स्थिति सबके सामने है. सरकारी दरबार में खरीदारी नहीं होने से
औने-पौने दाम पर अपनी फसल बेचने को किसान मजबूर हैं. जानकार बताते हैं कि किसानों से गेहूं की खरीदारी करना तो दूर अबतक किसी भी पंचायत व प्रखंड में क्रय केन्द्र खोले तक नहीं खुल पाये हैं. उल्लेखनीय है कि गेहूं खरीदारी को लेकर राज्य स्तर से जारी आदेश में यह स्पष्ट कर दिया था कि 10 अप्रैल से सभी केन्द्रों पर प्रर्याप्त व्यवस्था यानी मापक यंत्र,बोरी, रोशनी, तिरपाल आदि सुनिश्चित करने को कहा गया था. लेकिन स्थिति यह है कि अब भी क्रय केन्द्रों पर ताला लटका हुआ है.
लापरवाही की हो गयी हद : आंकड़े बताते हैं कि सरकारी क्रय एजेंसी किसानों के हितों की लगातार अनदेखी करती आ रही है. राज्य स्तर से भले ही कई हितकारी आदेश दिये जाते रहे हो लेकिन जिले के एजेंसी ही ऐसी योजनाओं की हवा निकाल देते हैं. आच्छादन एवं संभावित उत्पादन को ध्यान में रखकर बीते कुछ वर्षों से इस जिले में पहले धान फिर गेहूं खरीदारी का लक्ष्य निर्धारित किया जाता रहा है. लेकिन सच्चाई यही है कि अबतक लक्ष्य के अनुरूप कभी भी धान की खरीदारी नहीं हुई है. आंकड़े बताते हैं कि अभी तक क्रय एजेंसी ने आधी उपलब्धि भी हासिल नहीं की है. वहीं हाल गेहूं खरीदारी की भी है. पिछले वर्ष भी किसानों को मजबूरन निजी व्यापारियों के हाथों औने पौने दामों पर अपने गेहूं को बेचना पड़ा था. वहीं स्थिति इस बार की है.
किसानों की हितों को ध्यान में रखकर खगड़िया जिले में 16 हजार एमटी गेहूं की खरीदारी करने का लक्ष्य दिया गया था. गेहूं के समर्थन मूल्य में भी सौ रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि कर इसे 1625 रुपये कर दिया गया है. राज्य स्तर से जमीन वाले किसानों के साथ साथ बटाईदार किसानों से भी गेहूं की खरीदारी करने को कहा गया था. लेकिन यह सब घोषणाएं खगड़िया पहुंचते-पहुंचते खो गयी है.
फायदे के हिसाब से काम
गेहूं व धान की खरीदारी में पारदर्शिता बनाए रखने एवं गड़बड़ियों को रोकने के लिए कई आदेश दिये गए है. जिस कारण अब इसमें गड़बड़ी कर पाना आसान बात नहीं है. जानकार बताते हैं कि यहां फायदे के हिसाब से अधिकांश पैक्सों में काम होता है. डीलर की अनुज्ञप्ति हो या फिर उर्वरक बेचने के मामले इन दोनों में अधिकांश पैक्स सक्रिय हो जाते है.
क्योंकि इन दोनों कार्य में इन्हें अधिक फायदा दिख जाता है. लेकिन जब किसान से धान या गेहूं खरीदारी की बारी आती है तो इन्हें सांप सूंघ जाता है कई पैक्स तो केन्द्र खोलते भी नहीं है. अगर कुछ खुलते भी हैं तो वे सिर्फ खानापूर्ति करते है. लक्ष्य के विरुद्ध मात्र 20 से 30 प्रतिशत खरीदारी ही इनके द्वारा की जाती है. हालांकि कई पैक्स अध्यक्षों ने बताया कि किसान क्रय केन्द्रों पर अपना गेहूं नहीं बेच रहे हैं.
गरमी के कारण आंगनबाड़ी केन्द्र के संचालन का समय बदला गया है राज्य स्तर से केन्द्र संचालन के समय में बदलाव किया है. जारी आदेश के मुताबिक अब सुबह सात बजे से दोपहर 11 बजे तक आंगनबाड़ी केन्द्रों का संचालन होगा.

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