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लापरवाह पदाधिकारियों पर करें कार्रवाई : प्रधान सचिव
प्रधान सचिव ने सभी लोक प्राधिकार को स्वयं सुनवाई के दौरान उपस्थित रहने का जारी किया है फरमान खगड़िया : बिहार लोक शिकायत निवारण अधिनियम 2015 के तहत प्राप्त आवेदनों के निष्पादन को राज्य स्तर पर आदेश जारी किये गये. जारी आदेश में सामान्य प्रशासन विभाग के प्रधान सचिव ने इन अधिनियम के प्रति लापरवाही […]
प्रधान सचिव ने सभी लोक प्राधिकार को स्वयं सुनवाई के दौरान उपस्थित रहने का जारी किया है फरमान
खगड़िया : बिहार लोक शिकायत निवारण अधिनियम 2015 के तहत प्राप्त आवेदनों के निष्पादन को राज्य स्तर पर आदेश जारी किये गये. जारी आदेश में सामान्य प्रशासन विभाग के प्रधान सचिव ने इन अधिनियम के प्रति लापरवाही बरतने वाले लोक प्राधिकार के विरुद्ध साफ शब्दों में कार्रवाई करने को कहा है.
पहले तो इस बात की चर्चा जिले में होती थी कि लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के सुनवाई में स्वयं लोक प्राधिकार यानी संबंधित विभाग के पदाधिकारी भाग नहीं लेते हैं. सुनवाई में भाग लेने के लिए ऐसे प्राधिकार यानी संबंधित विभाग के पदाधिकारी भाग नहीं लेते हैं. सुनवाई में भाग लेने के लिए ऐसे लोक प्राधिकार अपने कार्यालय के कर्मी, कभी कभी तो अनुसेवक को भी प्राधिकृत कर देते हैं, लेकिन अब यह बातें राज्य स्तर पर भी पहुंच गयी है. जहां इसे गंभीरता से लिया गया है.
इस मामले की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि एक सप्ताह के भीतर सामान्य प्रशासन विभाग के प्रधान सचिव सह बिहार प्रशासनिक सुधार मिशन सोसाइटी के मिशन निदेशक को दो बार पत्र लिखना पड़ा है. 8 फरवरी को पहले प्रधान सचिव धर्मेंद्र गंगवार ने डीएम को पत्र लिखा है. वहीं सात दिन बाद यानी 15 फरवरी को कार्यवाहक प्रधान सचिव आमिर सुबहानी ने डीएम को पत्र लिखा है. इन दोनों ही पत्र में भाग नहीं लेने वाले लोक प्राधिकार के विरुद्ध कार्रवाई करने को कहा गया है. जानकार बताते हैं कि राज्य स्तरीय अधिकारी इस बात से काफी नाखुश है कि लोक प्राधिकार द्वारा इस अधिनियम को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है.
प्रधान सचिव ने डीएम को लिखे पत्र में इस बात का भी उल्लेख किया है कि समीक्षा के दौरान यह बातें सामने आ रही है कि लोक प्राधिकारों द्वारा सुनवाई में भाग नहीं लिया जाता है. सुनवाई में वे अपने कार्यालय के सबसे नीचले ओहदे के कर्मी को भेजते हैं. जिन्हे विषय वस्तु की कोई जानकारी ही नहीं रहती है. जिससे शिकायत की सुनवाई एवं निवारण में कठिनई होती है. प्रधान सचिव ने यह भी कहा है कि इससे इस अधिनियम का उद्देश्य विफल होता है. सच्चाई भी यही है कि सुनवाई में अधिकारी की जगह वहां के सबसे निचले कर्मी भाग लेते हैं.
कहते हैं तीनों पीजीआरओ
डीपीजीआरओ विजय कुमार सिंह ने बताया कि सुनवाई में कौन भाग लेंगें इसको लेकर राज्य स्तर से आदेश जारी किया गये है. यह बात सही है कि कुछ लोग लोक प्राधिकारों के द्वारा अपने ऐसे अधीनस्थ कर्मी को भेजा जाता है जिन्हें मामले से संबंधित विषयवस्तु की जानकारी ही नहीं रहती है. ऐसे में समय बरबाद तो होते ही हैं साथ ही परिवादी को न्याय मिलने में अधिक समय लग जाता है.
अनावश्यक समय की बरबादी को रोकने के लिए यह आवश्यक है कि लोक प्राधिकार स्वयं आवे, अथवा अपने अधीनस्थ वैसे पदाधिकारी को भेजे जिन्हें पूरी जानकारी हो तथा वे समय पर स्पष्ट प्रतिवेदन जमा करें.वहीं सदर अनुमंडल लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी संजीव चौधरी ने कहा है कि पहले भी जिला पदाधिकारी द्वारा सभी लोक प्राधिकारों को यह आदेश दिया जा चुका है.
अब राज्य स्तर से भी इस मामले में सख्त आदेश दिये गये हैं. निश्चित ही इसमें सुधार होगा. सभी लोक प्राधिकार इस आदेश को गंभीरता से लेंगे. अनुमंडल लोक निवारण पदाधिकारी गोगरी, राकेश कुमार ने कहा है इस अधिनियम के तहत प्राप्त होने वाले शिकायतों के निष्पादन के लिए समय निर्धारित है. अगर लोक प्राधिकार इस अधिनियम को गंभीरता से नहीं लेंगे तो दिक्कतें होगी. साथ ही लोगों को न्याय दिलाने में भी परेशानी होगी.
पदाधिकारी की इस लापरवाही की अनदेखी नहीं की जायेगी. प्रधान सचिव ने सभी लोक प्राधिकार को साफ शब्दों में स्वयं सुनवाई के दौरान उपस्थित रहने का फरमान जारी किया है.
वो भी परिवाद पर तात्विक प्रतिवेदन के साथ अगर किसी विशेष कारण से लोक प्राधिकार सुनवाई में उपस्थित नहीं हो पाते है तो वे अपने अधीनस्थ वैसे पदाधिकारी को सुनवाई में भाग लेने के लिए प्राधिकृत करेंगे. जिन्हें विषयवस्तु की पूर्ण जानकारी हो. प्रधान सचिव ने डीएम को वैसे सभी लोक प्राधिकार के विरुद्ध कार्रवाई करने का निर्देश दिया है. जो न तो सुनवाई में भाग लेते हैं और न ही शिकायत के निवारण में रुचि दिखाते हैं.
जिलािधकारी ने सभी को लिखा पत्र
राज्य स्तर से जारी आदेश को गंभीरता से लेते हुए डीएम जय सिंह ने सभी लोक प्राधिकारों को चेतावनी पत्र लिखा है. डीएम ने एडीएम, डीडीसी, जिले के सभी पदाधिकारी, तकनीकी पदाधिकारी, सभी बीडीओ एवं सीओ के अलावे तीन पीजीआरओ को पत्र लिखा है तथा राज्य स्तर से जारी आदेश का शत प्रतिशत अनुपालन करने को कहा है.
डीएम व मुख्य सचिव करेंगे समीक्षा
प्रधान सचिव ने डीएम को लोक प्राधिकारी की सुनवाई के दौरान उपस्थित की सतत समीक्षा करने तथा इनकी उपस्थिति सुनिश्चित कराने को कहा है. इसके आलावे प्रत्येक माह पीजीआरओ एवं सभी लोक प्राधिकार के साथ बैठक करेन को कहा गया है. प्रधान सचिव ने इस बात का भी उल्लेख किया है कि अब इस बिंदु की समीक्षा मुख्य सचिव भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये करेंगे.
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