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अनदेखी. सेवानिवृत्ति के दो वर्ष बाद तक लिया वेतन

दो लाख के मामाले में लीपा-पोती में जुटा है विभाग सेवानिवृत्ति के दो वर्ष बाद तक नौकरी करने, विद्यालय प्रधान के रूप में मध्याह्न भोजन योजना तथा अन्य मदों के खाते का संचालन करने एवं वेतन उठाने वाले मामले में अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है. परबत्ता : प्रखंड के सौढ दक्षिण पंचायत अंतर्गत […]

दो लाख के मामाले में लीपा-पोती में जुटा है विभाग

सेवानिवृत्ति के दो वर्ष बाद तक नौकरी करने, विद्यालय प्रधान के रूप में मध्याह्न भोजन योजना तथा अन्य मदों के खाते का संचालन करने एवं वेतन उठाने वाले मामले में अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है.
परबत्ता : प्रखंड के सौढ दक्षिण पंचायत अंतर्गत प्राथमिक विद्यालय मथुरापुर में सेवानिवृत्ति के दो वर्ष बाद तक नौकरी करने, विद्यालय प्रधान के रूप में मध्याह्न भोजन योजना तथा अन्य मदों के खाते का संचालन करने एवं वेतन उठाने वाले मामले में अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है. शिक्षा विभाग तथा पंचायत शिक्षक नियोजन इकाई की मिलीभगत से चले वित्तीय अनियमितता के इस खेल को देख समझकर भी सभी इस मामले पर आंखें मूदे हुए हैं.
क्या है मामला
प्रखंड के सौढ दक्षिण पंचायत में नियोजन वर्ष 2006 में मथुरापुर निवासी शिव चन्द्र शर्मा का नियोजन प्रशिक्षित पंचायत शिक्षक के रूप में हुआ तथा उन्हें प्राथमिक विद्यालय मथुरापुर में पदस्थापित किया गया. प्रशिक्षित तथा वरीय होने की वजह से उन्हें विद्यालय का प्रभारी बनाया गया था. शिव चन्द्र शर्मा के शैक्षणिक तथा प्रशैक्षणिक प्रमाणपत्र में दर्ज जन्मतिथि के आधार पर उन्हें 31 जनवरी 2012 को सेवानिवृत्त हो जाना चाहिये था,
लेकिन शिक्षक द्वारा विभाग को उपलब्ध कराये गये प्रमाणपत्र के जन्मतिथि में ओवरराइटिंग कर 1952 को पहले 1954 तथा बाद में 1956 कर जमा किया गया. इस आधार पर वे अपनी सेवानिवृत्ति की तिथि के दो वर्षों बाद 2014 तक सेवा में बने रहे. इन दो वर्षों के दौरान वे न केवल वेतन उठाते रहे बल्कि विद्यालय में मध्याह्न भोजन तथा अन्य योजनाओं का संचालन करते रहे.
शिक्षा विभाग को इस मामले की जानकारी वर्ष 2014 में ही हो गयी थी.
इस जानकारी के मिलने के बाद तत्कालीन बीइओ ने संबंधित शिक्षक के वेतन भुगतान पर रोक लगाते हुए अन्य खातों के संचालन पर रोक लगा दिया, लेकिन बीइओ के द्वारा इस रोक को लगाये जाने के ठीक पहले शिव चन्द्र शर्मा ने विद्यालय के खाते से पोशाक तथा छात्रवृत्ति मद का 74 हजार रुपये निकाल लिया. इस मामले में जांच करने के
पश्चात तत्कालीन बीइओ अखिलेश कुमार यादव ने पत्रांक 263 दिनांक 26 जून 15 के द्वारा कार्रवाई के लिये जांच प्रतिवेदन को जिला शिक्षा
पदाधिकारी के कार्यालय को प्रेषित कर दिया था.
दो लाख रुपये के गबन का मामला होगा उजागर
सूत्रों के अनुसार यदि इस मामले की वित्तीय जांच करायी जाय तो आरोपी शिक्षक के द्वारा अवैध तरीके से कम से कम दो लाख रुपये के गबन का मामला उजागर होगा. पंचायती राज संस्थाओं के अभिलेखों के सही तरीके से संधारित नहीं रहने के कारण इस मामले पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है.प्रशासन तथा पंचायत शिक्षक नियोजन इकाई इस मामले पर लीपा पोती करने में जुटी हुई है. इस मामले के उजागर होने को एक वर्ष से अधिक अवधि बीत जाने के बावजूद कार्रवाई शून्य है.
कहते हैं बीइओ
बीइओ संजीव कुमार राय ने बताया कि यह उनके पदस्थापन के पूर्व का मामला है. इस मामले पर सौढ दक्षिणी पंचायत के नियोजन इकाई के द्वारा कार्रवाई किया जाना
अपेक्षित है.

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