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कस्तूरबा वद्यिालय का सच : बच्चे झूठ बोल रहे या गुरूजी

कस्तूरबा विद्यालय का सच : बच्चे झूठ बोल रहे या गुरूजी बीडीओ के निरीक्षण के दौरान बच्चों की शिकायत को विद्यालय प्रबंधन बता रहा झूठ ———-बीडीओ ने भी माना, कस्तूरबा विद्यालय संचालन में लापरवाही से भविष्य निर्माण पर संकट ———–विद्यालय में बच्चों को पढ़ाई के बदले हो रहे मजाक से खुली शिक्षा विभाग की पोल […]

कस्तूरबा विद्यालय का सच : बच्चे झूठ बोल रहे या गुरूजी बीडीओ के निरीक्षण के दौरान बच्चों की शिकायत को विद्यालय प्रबंधन बता रहा झूठ ———-बीडीओ ने भी माना, कस्तूरबा विद्यालय संचालन में लापरवाही से भविष्य निर्माण पर संकट ———–विद्यालय में बच्चों को पढ़ाई के बदले हो रहे मजाक से खुली शिक्षा विभाग की पोल ————-निरीक्षण के नाम पर शिक्षा विभाग के अधिकारियों द्वारा बरती जा रही लापरवाही ———-पिछले दरवाजे से खेल की आड़ में गलती पर परदा डाल चल रहा गड़बड़ी का खेल ———— बीडीओ की जांच दौरान आवास बोर्ड स्थित कस्तूरबा विद्यालय का सामने आया सच ———कस्तूरबा विद्यालय में नियम के मुताबिक बच्चों को दिया जाना है स्पेशल ट्यूशन ———-सातवीं के बच्चों द्वारा अंगरेजी में पांच जानवरों के नाम नहीं लिख पाने से खुली पोल ———-आवास बोर्ड स्थित कस्तूरबा विद्यालय में अध्ययनरत बच्चों को शिक्षा से लेकर सुविधा तक मंे हकमारी की जा रही है. पढ़ाई ऐसी कि सातवीं के बच्चे पांच जानवर का नाम नहीं लिख पा रहे हैं. पूरी रिपोर्ट डीएम को सौंप कर कड़ी कार्रवाई की अनुशंसा की जायेगी. – रवि रंजन कुमार, बीडीओ , खगडि़या ————-सरकार द्वारा प्रदत्त सुविधा में कोई कोताही नहीं बरती जा रही है. दिन के तीन बजे तक विद्यालय में शिक्षा ग्रहण करने के बाद रात के वक्त कस्तूरबा विद्यालय में बच्चों का स्पेशल क्लास भी लिया जा रहा है. – प्रमोद कुमार यादव, संचालक, कस्तूरबा विद्यालय आवास बोर्ड, खगडि़या. ————–खगडि़या में कस्तूरबा विद्यालय का हाल बेहाल रहने से बच्चों के भविष्य निर्माण पर संकट उत्पन्न हो गया है. सुविधा से लेकर शिक्षा के नाम पर हो खेल के कारण सरकार के साथ-साथ बच्चों के सपने भी टूट रहे हैं. सब कुछ जानते हुए शिक्षा विभाग के अधिकारी की लापरवाही से कई सवाल उठ खड़े हुए हैं. यह सब खेल जिला मुख्यालय में अधिकारियों के नाक के नीचे आवास बोर्ड स्थित कस्तूरबा विद्यालय में हो रहा है. कहा जाता है कि परदे के पीछे के खेल की आड़ में कस्तूरबा विद्यालय के स्याह सच से शिक्षा विभाग के अधिकारी मुंह फेर ले रहे हैं. लोग कह रहे हैं जिले में संचालित अधिकांश कस्तूरबा विद्यालयों की स्थिति बदतर बनी हुई है. ————खगडि़या. कस्तूरबा विद्यालय मंे मिलने वाली सुविधा से लेकर शिक्षा में हो रही गड़बड़ी खेल के कारण सरकार के साथ-साथ बच्चों के सपने भी टूट रहे हैं. इधर, शनिवार को कस्तूरबा विद्यालय का सच सामने आने के बाद शिक्षा विभाग के अधिकारियों की पोल खुल गयी है. जिला मुख्यालय में अधिकारियों के नाक के नीचे आवास बोर्ड स्थित कस्तूरबा विद्यालय हो रहे खेल से भविष्य निर्माण पर संकट उत्पन्न हो गया है. वह तो शुक्र था कि सदर बीडीओ रवि रंजन कुमार अचानक निरीक्षण करने विद्यालय पहुंच गये वरना विद्यालय का स्याह सच शायद ही सामने आता. बताया जाता है कि परदे के पीछे खेल होने के कारण कस्तूरबा विद्यालय मंे हो रही गड़बड़ी का सच सामने नहीं आ पाता था. लोगों की मानें तो अधिकांश कस्तूरबा विद्यालय के हालात भी कुछ ठीक नहीं है. यहां बच्चों को मिलने वाली सुविधा गुरुजी की रहमोकरम पर निर्भर है. ————-आखिर बच्चे झूठ क्यों बोलेंगे? शनिवार को आवास बोर्ड स्थित कस्तूरबा विद्यालय में अचानक निरीक्षण को पहुंचे बीडीओ श्री रंजन के सामने बच्चों ने शिकायत की झड़ी लगा दी. सुविधा से लेकर शिक्षा तक में हो रही लापरवाही पर से बच्चों ने परदा उठाया तो बीडीओ साहब भी भौचक्क रह गये. साबुन तेल जैसी छोटी छोटी चीजें देने भी विद्यालय प्रबंधन आनाकानी कर रहा है. पीने को ग्लास नहीं है. स्वेटर बिना बच्चे ठिठूर रहे हैं. लेकिन शिक्षा विभाग के अधिकारी सहित विद्यालय प्रबंधन लापरवाह बना हुआ है. इधर, विद्यालय प्रबंधन द्वारा बच्चों की बातों को झूठ बताने के बाद सवाल उठता है कि आखिर बच्चे झूठ क्यों बोलेंगे? ————-पढ़ाई हो रहा है या मजाक कस्तूरबा विद्यालय में बच्चों की पढ़ाई के नाम भद्दा मजाक किया जा रहा है. बताया जाता है कि यहां नामांकित बच्चे दिन में तीन बच्चे तक परिसर मंे स्थित मध्य विद्यालय में पढ़ाई करते हैं. उसके बाद शाम पांच बजे से कस्तूरबा विद्यालय की शिक्षिका रीता वर्मा व अभिलाषा कुमारी द्वारा स्पेशल क्लास लेने का दावा किया जाता है. अब इतनी पढ़ाई के बाद अगर सातवीं क्लास के बच्चे पांच जानवर का नाम तक अंग्रेजी में नहीं लिख पाये तो ऐसी पढ़ाई को मजाक नहीं तो क्या कहा जायेगा? ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर मासूम बच्चों के भविष्य के साथ हो रहे खिलवाड़ पर शिक्षा विभाग के अधिकारियों की नजरें क्यों नहीं पड़ी? ————- कैश बुक कर रहा वित्तीय गड़बड़ी की ओर इशारा आवास बोर्ड स्थित कस्तूरबा विद्यालय का कैश बुक वर्ष 2014 से अद्यतन नहीं है. जो वित्तीय गड़बड़ी की ओर इशारा कर रहा है. हालांकि विद्यालय प्रबंधन का कहना है कि एकाउंटेंट नहीं रहने के कारण कैश बुक अद्यतन नहीं हो पाया है. वित्तीय गड़बड़ी की बात बेबुनियाद है. इधर, शिक्षा विभाग के अधिकारियों के निरीक्षण के नाम पर बस खानापूर्ति की जा रही है. शिक्षा विभाग के अधिकारी कहते हैं कि महीने मंे एक से दो बार तक कस्तूरबा विद्यालय का निरीक्षण किया जाता है. लेकिन परदे के पीछे गोलमाल हो जाने के कारण गड़बड़ी पर परदा डाल दिया जाता है. हालांकि शिक्षा विभाग के अधिकारी कहते हैं कि विद्यालय की निगरानी में कहीं से कोई लापरवाही नहीं बरती जाती है.

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