पेट्रोल पंप के मालिक के रहमो करम पर चल रहा है थाना
अभी भी प्राथमिकी दर्ज करने के लिए आवेदन फारवर्ड करते हैं एसएचओ
खगड़िया : जिले में सबसे खास्ताहाल थाना यदि है तो वह है मुफस्सिल थाना. कहने के लिए तो यह एनएच का थाना है. पर, आज तक इस थाने को एफआइआर तक दर्ज करने अधिकार नहीं है. आलम यह है कि इस थाने में एसएचओ (थाना प्रभारी) पीड़ित लोगों का आवेदन लेने के बाद उसे दर्ज होने के लिए नगर थाने के पास भेजते हैं.
दूसरी बात यह कि दियारा क्षेत्र का यह थाना पेट्रोल पंप के संचालक के रहमो करम पर संचालित किया जा रहा है. कहने का अर्थ है कि इस थाने का दफ्तर आज तक पेट्रोल पंप के मालिक के मकान में ही चल रहा है.
1996 में खोला गया था थाना : उक्त थाना का स्थापना ओपी थाना के रूप में पेट्रोल पंप की सुरक्षा के लिए 1996 में किया गया था. जिस थाना को न अपनी जमीन है और न ही अपना भवन है. जमीन व भवन पेट्रोल पंप के संचालक के द्वारा निर्माण कराया गया था. जिस थाना को आज तक पूर्ण अधिकार नहीं मिला है सभी मामले नगर थाना में भेजा जाता है. जबकि जिले के सुपर थाना के रूप में चित्रगुप्त नगर थाना एवं मुफस्सिल थाना आता है.
लेकिन मुफस्सिल थाना आज भी विभिन्न समस्याओं से जूझ रहा है.
थाने में नहीं है शौचालय : उक्त थाना को अपना शौचालय भी नहीं है और न ही शुद्ध पेयजल की उचित व्यवस्था के लिए खुले दरवाजे पर पुलिस बल अपना समय को गुजारने को मजबूर है. जहां पुरुष कैदी हाजत तो है. लेकिन महिला हाजत का अभाव 14 वर्षों से चल रहा है. दियारा क्षेत्र के थाना रहने के कारण अभी तक असुरक्षित है.
कहते हैं थानाध्यक्ष : मुफस्सिल थानाध्यक्ष आशीष सिंह ने बताया कि वर्ष 1996 से अब तक लगभग ढाई हजार मामलों में ज्यादातर भूमि विवाद का मामला दर्ज किया गया है. जमीन के लिए अंचलाधिकारी, भूमि उप समाहर्ता तथा अपर समाहर्ता के पास मामला लंबित है. उन्होंने कहा कि थाना में कुर्की में जब्त समानों को रखने की भी सुविधा नहीं है. दियारा क्षेत्र के थाना रहने के कारण थाना सुरक्षा के लिए सशस्त्र बल की तैनाती की जाती है. विशेष छापेमारी के लिए वरीय पुलिस पदाधिकारी से वाहन तथा सशस्त्र बल की मांग की जाती है.
