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कार्यपालक सहायक की बहाली, उड़ी थी नियमों की धज्जियां

खगड़िया: कार्यपालक सहायकों की बहाली में नियमों की घोर अनदेखी की गयी थी. एडीएम एमएच रहमान के नेतृत्व में की गयी जांच में इस बात का खुलासा हुआ है कि कार्यपालक सहायकों की बहाली में नियमों की धज्जियां उड़ायी गयी थी. अभ्यर्थियों के बनाये गये पैनल का भी अनुमोदन सक्षम पदाधिकारी से नहीं करायी गयी […]

खगड़िया: कार्यपालक सहायकों की बहाली में नियमों की घोर अनदेखी की गयी थी. एडीएम एमएच रहमान के नेतृत्व में की गयी जांच में इस बात का खुलासा हुआ है कि कार्यपालक सहायकों की बहाली में नियमों की धज्जियां उड़ायी गयी थी. अभ्यर्थियों के बनाये गये पैनल का भी अनुमोदन सक्षम पदाधिकारी से नहीं करायी गयी थी.

चार सदस्यीय टीम में शामिल एक पदाधिकारी ने बताया कि जांच रिपोर्ट डीएम को भेज दी गयी है. जांच के दौरान कई चौंकाने वाली बातें सामने आयी है. सूत्र के मुताबिक वर्ष 2011 से अब तक 75 अभ्यर्थियों का चयन किया गया है, जिसमें अधिकांश कार्यपालक सहायकों के चयन में विभागीय नियमों की अनदेखी की गयी है.

क्या हुई गड़बड़ियां
नियम के अनुसार किसी भी बहाली के पूर्व रोस्टर का निर्माण किया जाता है, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि किस कोटि में कितनी नियुक्ति की जाती है. रोस्टर बनाने में ही गड़बड़ी की गयी. आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक वर्ष 2011 में ही प्रमंडलीय आयुक्त से 27 बिंदुओं पर बनाये गये रोस्टर का अनुमोदन लिया गया. उसके बाद भी कई रोस्टर बनाये गये, जिसका अनुमोदन सक्षम पदाधिकारी से नहीं कराया गया.
बनाये गये कई पैनल
रोस्टर के बाद पैनल के नियमों का भी अनुपालन नहीं किया गया. जानकारी के मुताबिक हर नियुक्ति के पहले विज्ञापन प्रकाशित होता है. अभ्यर्थी आवेदन देते हैं. साक्षात्कार, परीक्षा के उपरांत मेरिट लिस्ट बनाया जाता है. बाद में रिक्तियां के कोटि के हिसाब से पैनल बनाया जाता है. जांच टीम शामिल एक जांच पदाधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि कार्यपालक सहायक के लिए पैनल बनाया गया था, जिसकी आयु एक वर्ष थी. एक वर्ष में कई बार कार्यपालक सहायकों की बहाली हुई. नियमानुसार पहले बनायी गयी पैनल से ही अभ्यर्थी का चयन होना था. किंतु इसके विपरीत पहले दूसरा पैनल बनाया गया. फिर पहले पैनल में शामिल अभ्यर्थियों को छोड़ दूसरे पैनल से अभ्यर्थियों का चयन किया गया, जबकि पहले पैनल में शामिल शेष बचे अभ्यर्थियों के चयन पर विचार ही नहीं किया गया. सूत्र के मुताबिक 5 से 6 बार पैनल बनाया गया तथा पुराने पैनल में शामिल अभ्यर्थियों को छोड़ कर नये पैनल से कार्यपालक सहायकों की बहाली की गयी.
और क्या हुई गड़बड़ी
रोस्टर एवं पैनल के बाद भी कुछ अन्य गड़बड़ियां की बातें जांच रिपोर्ट में शामिल है. सूत्र के मुताबिक कार्यपालक सहायक के बहाली में पारदर्शिता का अभाव था. जांच रिपोर्ट मे इस बात का भी उल्लेख किया गया है कि काउंसेलिंग में भाग लेने वाले अभ्यर्थियों की स्पष्ट सूची तैयार नहीं की गयी थी तथा मेरिट लिस्ट भी स्पष्ट नहीं था. पैनल एवं मेरिट लिस्ट में कई अभ्यर्थी का जाति भी संधारित नहीं था.
अब क्या होगा
आधिकारिक सूत्र के मुताबिक जांच रिपोर्ट आने के बाद कार्रवाई की जा सकती है. कार्यपालक सहायक की बहाली में शामिल रहने वाले तत्कालीन सभी पदाधिकारी से लेकर स्थापना शखा के प्रधान सहायक कार्रवाई के घेरे में आ गये हैं. सूत्र के मुताबिक नियम विपरीत तरीके से बहाल हुए कार्यपालक सहायक के विरुद्ध भी जल्द निर्णय लिए जा सकते हैं.

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