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तपती धूप में फसलों के साथ जल रहे अरमान

खगड़िया : भादो महीने का 36 से 38 डिग्री का तापमान किसानों के खेतों में लगी हरी-भरी फसल को जलाने के लिये अमादा है. बीते कई दिनों से बारिश नहीं होने से किसान परेशान हैं. बारिश नहीं होने से हजारों एकड़ में लगी मक्के व धान के फसल जहां पीले होने लगे हैं वहीं सोयाबीन […]

खगड़िया : भादो महीने का 36 से 38 डिग्री का तापमान किसानों के खेतों में लगी हरी-भरी फसल को जलाने के लिये अमादा है. बीते कई दिनों से बारिश नहीं होने से किसान परेशान हैं. बारिश नहीं होने से हजारों एकड़ में लगी मक्के व धान के फसल जहां पीले होने लगे हैं वहीं सोयाबीन व अन्य खरीफ फसल मुरझाने लगे हैं.

जला देने वाली तपती धूप व उमस भरी गर्मी में खेतों में लहलहाती फसलों के साथ-साथ जिले के हजारों किसानों के अरमान भी जला रहे हैं. बारिश के इंतजार में आसमान ताक रहे हैं. लेकिन बारिश का कोई अता-पता नहीं है.
स्थिति तो यह हो गयी है कि आसमान में मंडराते बादल देख किसान खुश हो जाते हैं, लेकिन बगैर बरसे ही बादल के गायब हो जाने से किसानों के चेहरे पर मायूसी छा जाती है. बारिश की इस बेवफाई से किसान काफी परेशान है. किसानों का परेशान होना भी लाजमी है. बातचीत के दौरान कई किसानों ने कहा कि अगर खरीफ बरबाद हो गये तो उनके समझ परिवार का भरण-पोषण के साथ-साथ बच्चों की पढ़ाई, इलाज समेत रबी फसल की बुआई करना भी मुश्किल हो जायेगा.
54 हजार हेक्टेयर जमीन पर लगे फसलों को नुकसान: जानकार बताते हैं घान मक्के के साथ-साथ सोयाबीन की फसलों को फिलहाल पानी की सख्त जरूरत है. क्योंकि बीते कई दिनों से बारिश नहीं हुई है. तपती धूप के कारण खेतों की नमी गायब हो चुकी है. सबसे बुरा हाल सोयाबीन की फसल की है.
बारिश नहीं होने के कारण सोयाबीन के पौधे सूखने लगे हैं पौधे में आये ब्लू व सफेद फूल भी सूखने लगे हैं. विभागीय आंकड़े के मुताबिक इस साल टारगेट से कहीं अधिक जिले में सोयाबीन की बुआई किसानों ने की है. समय से बारिश नहीं होने के कारण भारी संख्या में किसानों 12 जुलाई के बाद खेतों में सोयाबीन की फसल लगाये हैं.
वहीं धान मक्का,सोयाबीन सहित 54 हजार 7 सौ हेक्टेयर खेतों में लगे खरीफ फसलों को नुकसान हो रहा है. मानसून को लेकर विभाग का जो अनुमान था, परिणाम भी अबतक उसी के अनुरूप रहा है. बता दें मौसम विभाग के द्वारा मानसून कमजोर रहने का पूर्व अनुमान बताया गया था. जून, जुलाई में भी औसत से काफी कम बारिश हुई थी. वहीं स्थिति अगस्त माह में बनी रही.
आंकड़े के मुताबिक अगस्त माह में सामान्य वर्षापात 310.70 एमएम के विरुद्ध महज 93.69 एमएम ही बारिश हुई. वर्षापात का आंकड़ा यह बताने को काफी है कि मौसम फसल के अनुरूप नहीं रहा. जिस कारण किसानों के चेहरे पर महीनों भर मायूसी छायी रही. सावन व भादो के महीने को लोग बारिश के महीने के नाम जानते रहे हैं.
सावन-भादो महीनों में बारिश की पानी से गठ्ठे, तालाब, नदी, नाले सब भर जाते रहे हैं, गांव के गलियों में कीचड़/पानी जमा हो जाते थे. बारिश के पानी के कारण लोगों का अपने घरों से निकलना तक मुश्किल हो जाता था. लेकिन इस साल का सावन व भादो का महीना बारिश से कहीं अधिक धूप के लिये जाना जायेगा. गांव की गलियों में कीचड़ की जगह धूल उड़ रहे हैं. गठ्ठे,तालाब व नाले सूखे पड़े हुए हैं. इन दोनों महीनों में कभी ऐसा लगा ही नहीं कि सावन व भादो का महीना बीत रहा है.
पटवन कर किसान डीजल अनुदान लें
यह सही है कि इस साल औसत से काफी कम बारिश हुई है. किसानों को परेशानी न हो इसलिए विभाग के द्वारा किसानों को डीजल अनुदान दिये जा रहे है. निजी पंप सेट से पटवन कर आवेदन जमा करने वाले किसानों के खाते पर डीजल अनुदान की राशि भेजी जा रही है.
दिनकर प्रसाद सिंह, जिला कृषि पदाधिकारी.

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