कोढ़ा जहां एक ओर सरकार पुलिस व्यवस्था को सुदृढ़ करने की बात कर रही है दूसरी ओर कोलासी पुलिस खुद असुरक्षा के साये में रहकर ग्रामीणों को सुरक्षा देने का कार्य कर रही है. कोलासी पुलिस शिविर आज भी एक फूस के जर्जर भवन में संचालित हो रहा है. जो किसी भी वक्त आंधी-तूफान में गिर सकता है. 90 के दशक में स्थापित हुआ यह पुलिस शिविर आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है. लगभग पांच पंचायतों की सुरक्षा की जिम्मेदारी इस शिविर पर है. यहां के पुलिसकर्मी दिन-रात अपनी सेवा दे रहे हैं. बावजूद इसके, अब तक इनके लिए न तो कोई स्थायी भवन बनाया गया. न ही सरकारी स्तर पर कोई ठोस पहल की गई है. बरसात हो या तूफान, हर मौसम में खतरे के साये में तैनात रहते हैं पुलिसकर्मी. ग्रामीणों की सुरक्षा में हमेशा मुस्तैद रहने वाले जवान खुद एक जर्जर और असुरक्षित ढांचे में कार्य करने को विवश हैं. स्थानीय लोगों का भी कहना है कि कोलासी पुलिस उनकी सुरक्षा में अहम भूमिका निभाती है. लेकिन जिस हालत में वे कार्य कर रहे हैं, वह शर्मनाक है. अगर समय रहते यहां पक्का भवन नहीं बना तो किसी दिन बड़ी दुर्घटना हो सकती है. ग्रामीणों, समाजसेवियों और स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने इस मामले में उच्च प्रशासनिक अधिकारियों से जल्द संज्ञान लेने की अपील की है. मांग की जा रही है कि कोलासी पुलिस शिविर के लिए जल्द से जल्द सरकारी भूमि का आवंटन कर एक पक्का भवन तैयार किया जाय. ताकि पुलिस प्रशासन भयमुक्त और बेहतर ढंग से अपनी सेवाएं दे सकें. कोलासी पुलिस का समर्पण और सेवाभाव अपने आप में मिसाल है. लेकिन अब वक्त आ गया है कि उन्हें एक सुरक्षित और सुसज्जित कार्यालय मुहैया कराया जाय. ताकि सुरक्षा देने वाले खुद सुरक्षित रह सकें.
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