हरनगर पैक्स भूमि विवाद में सहकारिता विभाग की बढ़ी मुश्किलें आजमनगर प्रखंड क्षेत्र के हरनागर पंचायत के घोड़धह हाट स्थित पैक्स भूमि विवाद मामले में सहकारिता विभाग की परेशानी बढ़ती नजर आ रही है. पिछले दिनों हुए खूनी संघर्ष को प्रभात खबर ने प्रमुखता से खबर को प्रकाशित की थी. जब दस्तावेजों की पड़ताल की गयी तो स्थिति पैक्स के खिलाफ जाती दिख रही है. उपलब्ध अभिलेखों के अनुसार सहकारिता विभाग को पैक्स गोदाम का विस्थापन करना पड़ सकता है. संबंधित भूमि छोड़नी पड़ सकती है. पड़ताल में यह तथ्य सामने आयी कि विवादित भूमि मूल रूप से अब्दुल लतीफ चौधरी के नाम से खतियानी थी. वर्ष 1962 में उन्होंने उक्त भूमि अपनी पुत्री साजदा खातून के नाम रजिस्ट्री कर दी. इसके बाद वर्ष 1971 में उसी भूमि को उनके पुत्र अब्दुल करीम के नाम पर रजिस्ट्री कि गई थी. उक्त जमीन हरनगर पैक्स को दान के रूप में दे दिया तथा दोहरी रजिस्ट्री के कारण अंचल प्रशासन द्वारा पैक्स के नाम नामांतरण वाद अस्वीकृत कर दिया. पैक्स के नाम म्यूटेशन नहीं हो सका. दूसरी ओर खतियानधारी अब्दुल लतीफ चौधरी से प्राप्त भूमि को साजदा खातून ने आगे अब्दुल रहमान के नाम रजिस्ट्री कर दी है. जांच के बाद आजमनगर अंचल प्रशासन इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि रजिस्टर-2 से मिलान करने पर भूमि का म्यूटेशन अब्दुल रहमान के नाम किया जाना उचित था. जांच में भूमि को विवाद-रहित बताते हुए अंचल प्रशासन ने अब्दुल रहमान के पक्ष में म्यूटेशन कर दिया है. जहां एक तरफ पैक्स अध्यक्ष सुबोल यादव अपनी दावेदारी पेश कर रहा है तो वहीं दूसरी ओर अब्दुल रहमान एवं उनकी पत्नी मोकीमा अख्तरी अंचल प्रशासन से मांग कर रही है कि पैक्स गोदाम मेरी जमीन से अविलंब हटा लें. साथ ही पैक्स गोदाम हटाए जाने तक सहकारिता विभाग मुझे उचित किराया देने का प्रबंध करें. सीओ रिजवान आलम ने बताया कि मामला संज्ञान में आते ही कर्मचारियों को आदेश दे दी गई है. जांच प्रतिवेदन समर्पित करने के बाद ही आगे की कार्रवाई की जा सकती है.
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