– निदेशक प्राथमिक शिक्षा ने जारी किया है दिशा-निर्देश कटिहार अभिभावकों में खेल के महत्व को समझाने के उद्देश्य से शनिवार को जिले के करीब 2000 स्कूलों में अभिभावक/शिक्षक गोष्ठी आयोजित की जायेगी. प्राथमिक शिक्षा निदेशक सहिला ने जिला शिक्षा पदाधिकारी को इस आशय से संबंधित दिशानिर्देश दिया है. डीइओ को लिखे दिशानिर्देश में प्राथमिक शिक्षा निदेशक ने कहा है कि मई 2025 से बिहार में वार्षिक कैलेंडर के अनुसार अभिभावक-शिक्षक संगोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है. इसी क्रम में दिनांक शनिवार को सभी प्रारंभिक विद्यालयों में अभिभावक शिक्षक संगोष्ठी का आयोजन किया जाना है. विद्यालयी शिक्षा में खेल का महत्वपूर्ण स्थान है. नयी शिक्षा नीति- 2020 में राष्ट्रीय स्तर पर शारीरिक शिक्षा को परंपरागत शैक्षणिक प्रक्रिया के साथ समानान्तर रूप से विकसित करने का प्रावधान भी किया गया है. खेल विद्यार्थियों के शारीरिक व मानसिक विकास के साथ-साथ सामाजिक और भावनात्मक विकास में भी अहम भूमिका निभाता है तथा खेल के माध्यम से बच्चों में अनुशासन, सहयोग, नेतृत्व, आत्मविश्वास और टीम वर्क जैसे जीवन कौशल विकसित होते है. इसलिए इन्हीं तथ्यों को ध्यान में रखते हुए अभिभावक शिक्षक संगोष्ठी के वार्षिक कैलेंडर में ””खेलो और सीखो थीम को रखा गया है. वार्षिक कैलेंडर के अनुसार शनिवार को अभिभावक शिक्षक संगोष्ठी आयोजित किया जाना है. किसी एक खेल का होगा प्रदर्शन आदेश में यह कहा गया है कि सभी विद्यालयों में शनिवार को अभिभावक-शिक्षक संगोष्ठी का आयोजन किया जायेगा. संगोष्ठी के दिन विद्यालय में उपलब्ध खेल उपस्कर का प्रदर्शन तथा यथासंभव विद्यालयों में एक खेल का आयोजन हो सके. शिक्षक सभी अभिभावकों को बच्चों की शैक्षणिक उपलब्धियों से अवगत करायेंगे. संगोष्ठी में बच्चों के स्वास्थ्य, पोषण और स्वच्छता पर अभिभावकों से चर्चा हो तथा शिक्षक यह संदेश दें कि सभी अभिभावक अपने-अपने बच्चे को भोजन कराकर ही विद्यालय भेजें. राज्य स्तर से उपलब्ध कराये गये गूगल फॉर्म में इस एक दिवसीय संगोष्ठी की फोटो अपलोड कर गतिविधि संबंधी लघु जानकारी एवं परामर्श आवश्यक अंकित करें. संगोष्ठी का यह है उद्देश्य आदेश में शनिवार को ””खेलो और सीखो”” थीम पर होने वाली अभिभावक शिक्षक संगोष्ठी के उद्देश्य की भी चर्चा की गयी है. मसलन संगोष्ठी के माध्यम से अभिभावकों को यह बताना कि खेल केवल शारीरिक विकास का साधन नहीं है. बल्कि बच्चों के मानसिक, सामाजिक और भावनात्मक विकास में भी अहम भूमिका निभाता है. खेल के माध्यम से बच्चों में अनुशासन, सहयोग, नेतृत्व, आत्मविश्वास और टीम वर्क जैसी जीवन कौशल विकसित होते है. विद्यालय में मौजूद खेल उपकरणों, गतिविधियों और प्रतियोगिताओं का प्रदर्शन कर अभिभावकों को बच्चों को खेल प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करना और घर-समुदाय में खेल संस्कृति को बढ़ावा देना है.
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