कोढ़ा कोढ़ा प्रखंड क्षेत्र में इस वर्ष मखाना की खेती में किसानों का रुझान अभूतपूर्व रूप से बढ़ा है. एक समय केवल पारंपरिक फसलों पर निर्भर रहने वाले किसान अब मखाना की खेती को अधिक लाभदायक मानते हुए बड़े पैमाने पर इसकी ओर अग्रसर हो रहे हैं. इसका प्रमुख कारण है मखाना की अंतरराष्ट्रीय बाजार में बढ़ती मांग और पिछली फसलों की अपेक्षा इससे हुई बेहतर आय है. मखाना अब सुपरफूड के रूप में पहचान मिल रही है. खासकर इसका लावा आज अमेरिका, यूरोप और खाड़ी देशों में एक लोकप्रिय हेल्थ स्नैक बन चुका है. इसके पोषण गुणों और औषधीय महत्व ने इसे वैश्विक बाजार में खास स्थान दिलाया है. पिछले साल की कमाई ने किसानों को दिया भरोसा कोढ़ा के किसान इम्तियाज बताते हैं, पिछले वर्ष मखाना की खेती से जितनी आमदनी हुई. उतनी कभी धान या गेहूं से नहीं हुई थी. इसलिए इस बार मैंने खेती का क्षेत्रफल दोगुना कर दिया है. इम्तियाज जैसे ही कई और किसान राजेश कुमार, शिव शंकर शाह, संतोष पोद्दार, फारूक, इलियास और अनवर आलम भी इस बार मखाना उत्पादन में पूरी तरह जुटे हैं. किसानों का मानना है कि मखाना की खेती से न केवल आमदनी में बढ़ोतरी हो रही है. बल्कि कम समय और संसाधनों में बेहतर परिणाम मिल रहे हैं. वहीं, बाजार में इसकी कीमतें भी आकर्षक बनी हुई हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि कटिहार सहित कोसी-सीमांचल क्षेत्र की जलवायु और मिट्टी मखाना उत्पादन के लिए बेहद उपयुक्त है. यहां का उथला जलस्तर और दलदली भूमि मखाना के लिए आदर्श माने जाते हैं. यही वजह है कि यहां के किसान तेजी से पारंपरिक फसलों की जगह मखाना को तरजीह देने लगे हैं. हालांकि, किसानों को अब भी कुछ बुनियादी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. प्रशिक्षण, गुणवत्ता युक्त बीज, सिंचाई सुविधा और बाजार से जुड़ाव के अभाव में कई किसान अब भी पूरी तरह सक्षम नहीं हो पा रहे हैं. स्थानीय किसान राजेश कुमार बताते हैं, अगर सरकार प्रोसेसिंग यूनिट, पैकेजिंग सेंटर और निर्यात की व्यवस्था स्थानीय स्तर पर कर दे, तो हम खुद ही मखाना विदेश भेज सकते हैं. इस बढ़ते रुझान को देखते हुए कृषि विभाग के अधिकारियों ने मखाना उत्पादन को बढ़ावा देने की योजना पर विचार शुरू कर दिया है. विभाग का कहना है कि जल्द ही किसानों को प्रशिक्षण, अनुदान और तकनीकी सहायता उपलब्ध कराई जायेगी. किसने की रीड बनती जा रही मखाना की खेती मखाना की खेती में अधिक मेहनत और जल संसाधनों की आवश्यकता होती है. किसानों का कहना है कि यदि उन्हें नई तकनीकों और वैज्ञानिक तरीकों से खेती करने की सुविधा मिले, तो उत्पादन में और अधिक बढ़ोतरी संभव है. कोढ़ा प्रखंड के किसानों ने मखाना की खेती को अपनाकर कृषि के क्षेत्र में एक नया अध्याय शुरू किया है. यदि उन्हें समय पर सरकारी सहयोग, बाजार और तकनीकी मदद मिलती रही, तो यह क्षेत्र मखाना उत्पादन में राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बना सकता है. मखाना अब केवल एक फसल नहीं, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ बनने की ओर अग्रसर है
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