प्रभात इम्पैक्ट – मरीजों को अब मिलेगी जांच व इलाज में सुविधा राणा सिंह, कटिहार सदर अस्पताल में चिकित्सकों की कमी की खबर छपने का असर अगले ही दिन देखने को मिली. काफी दिनों बाद चिकित्सकों की कमी को पूरा करते हुए नेत्र विशेषज्ञ चिकित्सक की पोस्टिंग हुई है. लगभग ढाई वर्षों के बाद मरीज को अब एक बार फिर से नेत्र विशेषज्ञ डॉक्टर की सेवा मिलेगी. सदर अस्पताल में नेत्र विशेषज्ञ चिकित्सक के रूप में डॉ. दीपक कुमार ने ज्वाइन किया है. उनकी जॉइनिंग होने के बाद ही अब सदर अस्पताल में आउटडोर हो या दिव्यांगों का प्रमाण पत्र बनाने को लेकर सभी परेशानी मरीजों की दूर होने की आश जगी है. सदर अस्पताल की उपाधीक्षक डॉ. आशा शरण ने बताया कि सदर अस्पताल में चार डॉक्टरों की नियुक्ति को लेकर विभाग सूचना प्राप्त हुई है. अभी दो डॉक्टरों ने सदर अस्पताल में अपनी सेवा देने को लेकर जॉइनिंग कर लिया है. एक डॉक्टर दीपक कुमार है जो आई स्पेशलिस्ट है. दूसरे डॉक्टर उर्मी पोद्दार शामिल है. उपाधीक्षक ने बताया कि आई स्पेशलिस्ट डॉक्टर सदर अस्पताल में मौजूद नहीं थे. इसलिए डॉ दीपक कुमार को सदर अस्पताल में नियुक्त किया गया है. उनकी जॉइनिंग के बाद रोस्टर तैयार कर उनकी आउटडोर सेवा मरीजों को बहुत जल्द मिलने वाली है. सदर अस्पताल में आई स्पेशलिस्ट डॉक्टर के नहीं रहने के करण खासकर गरीब मरीजों को आंख की जांच करने के लिए किसी निजी डॉक्टर के यहां जाने के लिए विवश होना पड़ता था. क्योंकि सदर अस्पताल में नेत्र सहायक डॉक्टर के भरोसे ही मरीज का इलाज हो पा रहा था. लगभग ढाई वर्ष पहले डॉ श्वेता नेत्र विशेषज्ञ ने सदर अस्पताल में अपनी सेवा दी थी. लेकिन बहुत कम ही समय में उन्होंने अपने पद से रिजाइन दे दिया था. नेत्र विशेषज्ञ चिकित्सक के अभाव में 1425 दिव्यांगों का यूडीआइडी कार्ड बनना पड़ा है पेंडिंग सदर अस्पताल में नेत्र विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं रहने के कारण एक तरफ जहां मरीजों को परेशानी उठानी पड़ती थी, तो दूसरी तरफ खासकर दिव्यांगों को सबसे ज्यादा परेशान होना पड़ रहा था. पिछले ढाई वर्षो से आंख से दिव्यांगों की जांच ही नहीं हो पा रही थी. जिला के 1425 आंख से ग्रसित दिव्यांगों का यूआईडी कार्ड जांच के अभाव में लंबित पड़ा हुआ है. दिव्यंगिता की जांच को लेकर टीम गठित है. जिसमें की अर्थों से डॉक्टर अमरेंद्र कुमार तथा मानसिक रोग विशेषज्ञ के रूप में प्रभार डॉक्टर एसपी विंकर, ईएनटी में डॉ विपिन कुमार शामिल है. जिले के सदर अस्पताल हो या प्रखंड स्तर तक लगे वाले कैंप में टीम के द्वारा लगने वाले दिव्यांग जांच को लेकर सभी डॉक्टर जांच करते हैं. लेकिन नेत्र विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं रहने के कारण आंख से ग्रसित दिव्यांगों की जांच नहीं हो पा रही थी. ऐसे में ऐसे दिव्यांगों को जांच के लिए भागलपुर भेजा जा रहा था. जहां सप्ताह में मात्र एक या दो दिन ही दिव्यांगों की जांच हो पाती थी. दिव्यांग भागलपुर जाने में भी अपनी असमर्थता जताते थे. इस कारण से अबतक लगभग 1425 आंख से ग्रसित दिव्यांगों की जांच नहीं हो पायी है. जिनका यूडीआईडी कार्ड लंबित पड़ा हुआ है. संभव है कि अब इन मरीजेां के आंखों की जांच जल्द हो सकेगी.
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