कुरसेला गंगा नदी का प्रवाह दिशा बदलने से नये भू-भाग पर कटाव का खतरा बढ़ सकता है. नदी की दिशा त्रिमोहनी संगम के समीप पश्चिम उत्तर की ओर है. नदी का इस दिशा में पिछले कुछ सालों से लगातार कटाव हो रहा है. कटाव से पश्चिम भाग का भू-भाग नदी के गर्भ में समाहित होता रहा है. प्रवाह के दिशा में परिवर्तन से निकट भविष्य में नये भू-भाग पर कटाव खतरा मंडरा सकता है. गंगा प्रवाह के बदलते रूख से पश्चिम दिशा कटाव बढ़ने की सम्भावना बन रही है. आशंका है कि गंगा नदी, कोसी नदी से संगम के स्थान को बदल सकती है. नदियों के बहाव दिशा में बदलाव होने से बीते कई वर्षों से तटीय क्षेत्र के उपजाऊ भुमि नदियों के कोख में समाहित होती रही है. ऐसा समझा जाता है कि अगामी जून माह के प्रथम सप्ताह से गंगा नदी के जलस्तर में वृद्धि प्रारम्भ हो जायेगी. जलस्तर में वृद्धि आने से गंगा नदी का कटाव तीव्र हो सकता है. कोसी नदी का प्रवाह दिशा में बदलाव होने की उम्मीद है. फिलहाल गंगा नदी के कटाव से आबादी के किसी गांव पर कटाव का खतरा नहीं बना है. गंगा नदी का प्रवाह वर्तमान जगह से तकरीबन एक किमी की दूरी पर हो रहा है. नदी के तट तक पहुंचने के लिए बालू का रेत पार कर पहुंचना पड़ता है. बदले प्रवाह से गंगा कटाव के स्थितियों में संगम तट पर स्नान आदि के लिए घाट सुरक्षित नहीं रह गया है. त्रिमोहनी संगम के समीप गंगा दक्षिण से उत्तर दिशा में वर्षो से प्रवाहित होती आई है. प्रवाह दिशा उत्तर की ओर होने से धार्मिक महत्व में उत्तरवाहनि गंगा का तट बना हुआ था. इसी जगह तेज प्रवाह वाले कलवलिया नदी गंगा से आकर मिलती है. कोसी गंगा नदी के साथ कलवलिया के संगम होने से इस तट का नाम त्रिमोहनी संगम पड़ गया था. गंगा नदी के साथ कोसी नदी के प्रभाव दिशा में परिवर्तन होने का सिलसिला बना रहता है. जिससे संगम तट की भौगोलिक भू-भाग में बदलाव हो जाया करता है.
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