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जिले में स्वास्थ्य कार्यक्रमों की सेहत ठीक नहीं
सीएस की ताजा रिपोर्ट से हुआ खुलासा कटिहार : तमाम कोशिशों एवं अधिकारियों की निगरानी के बावजूद कटिहार जिले में स्वास्थ्य कार्यक्रमों की सेहत ठीक नहीं है. केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा विभिन्न तरह के मरीजों के लिए पिछले कई वर्षो से स्वास्थ्य कार्यक्रम चलाया जा रहा है. पर, इन स्वास्थ्य कार्यक्रमों का समुचित लाभ […]
सीएस की ताजा रिपोर्ट से हुआ खुलासा
कटिहार : तमाम कोशिशों एवं अधिकारियों की निगरानी के बावजूद कटिहार जिले में स्वास्थ्य कार्यक्रमों की सेहत ठीक नहीं है. केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा विभिन्न तरह के मरीजों के लिए पिछले कई वर्षो से स्वास्थ्य कार्यक्रम चलाया जा रहा है.
पर, इन स्वास्थ्य कार्यक्रमों का समुचित लाभ जिले के मरीजों को नहीं मिल रहा है, जबकि स्वास्थ्य कार्यक्रमों को जमीनी स्तर पर उतराने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा आधारभूत सरंचना भी विकसित की गयी है. कई स्तरों पर कार्यक्रम के क्रियान्वयन को लेकर निगरानी व अनुश्रवण की व्यवस्था है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, कटिहार में स्वास्थ्य कार्यक्रम दम तोड़ रहा है.
स्वास्थ्य विभाग द्वारा पुनरीक्षित राष्ट्रीयम यक्ष्मा नियंत्रण कार्यक्रम, कुष्ठ नियंत्रण कार्यक्रम, जननी एवं बाल सुरक्षा योजना, मलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम, काजालार नियंत्रण कार्यक्रम, डेंगू नियंत्रण कार्यक्रम, एइएस नियंत्रण कार्यक्रम समेत कई कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं. प्रभात खबर ने इन स्वास्थ्य योजनाओं को लेकर पड़ताल की है. स्थानीय स्वास्थ्य विभाग की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, जिले में स्वास्थ्य कार्यक्रम की स्थिति ठीक नहीं है.
कहते हैं डीपीएम : जिला स्वास्थ्य समिति के डीपीएम निलेश कुमार ने कहा कि स्वास्थ्य कार्यक्रमों को प्रभावी बनाने के लिए सीएस द्वारा निर्देशित किया गया है.
जेबीएसवाइ के तहत 10 प्रतिशत को ही मिला लाभ
संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के उद्देश्य से राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत जननी एवं बाल सुरक्षा योजना के तहत प्रसव के बाद महिला को 1400 रुपये देने का प्रावधान है. इसकी भी स्थिति ठीक नहीं है.
प्रावधान के अनुसार, प्रसव के बाद अस्पताल छोड़ते समय लाभुक महिला को राशि भुगतान करनी है, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है. सीएस की रिपोर्ट के अनुसार, चालू वर्ष अप्रैल से जुलाई तक 14033 महिलाओं का प्रसव सरकारी अस्पताल में हुआ है. इनमें से 9873 महिलाओं को इस योजना का लाभ दिया गया है. यानी 10 प्रतिशत महिलाओं को ही इसका लाभ मिला है.
चार माह में आठ फीसदी ही मोतियाबिंद ऑपरेशन
राष्ट्रीय अनुसंधान नियंत्रण कार्यक्रम के तहत ऐसे मरीजों को आंखों की रोशनी देने के लक्ष्य के विरुद्ध चालू वर्ष में अब तक मात्र आठ प्रतिशत ही मोतियाबिंद का आपरेशन कर हो सका है.
सिविल सर्जन की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, चालू वित्तीय वर्ष 2016-17 में 5500 मोतियाबिंद से ग्रसित मरीजों का ऑपरेशन करने का लक्ष्य रखा गया है. इस लक्ष्य के विरुद्ध चार महीने यानी जुलाई तक मात्र 427 मरीजों का मोतियाबिंद का ऑपरेशन किया गया.
फाइलेरिया नियंत्रण कार्यक्रम के तहत चालू वर्ष में मात्र छह रोगी चिह्नित किये गये हैं. कालाजार नियंत्रण कार्यक्रम के तहत इस वर्ष 79 मरीजों की पहचान की गयी है. रिपोर्ट की मानें, तो इसमें से 68 मरीजों का उपचार किया गया है, जबकि 11 अाक्रांत मरीजो का उपचार कराया जा रहा है.
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