भभुआ. शनिवार को जिले के सोन उच्च स्तरीय नहर केनाल में पटवन के लिए विभाग द्वारा पानी की आपूर्ति शुरू करा दी गयी है. शनिवार को जिले के सोन नहर में 200 क्यूसेक पानी की आपूर्ति चालू की गयी. लेकिन, बीहन डालने के पीक समय में यह पानी कैमूर के किसानों को टेल तक उपलब्ध नहीं हो पायेगा. आखिरकार बीज डालने के पीक नक्षत्र रोहणी के खत्म होने के अंतिम दौर में जिले की सिंचाई व्यवस्था की कमान संभाले सोन उच्च स्तरीय नहर में शनिवार को हलचल दिखायी देने लगी. जब विभाग द्वारा नहर में पानी की आपूर्ति शुरू करायी गयी. जबकि पानी का इंतजार किसान रोहणी नक्षत्र के नौतपा समाप्त होने के साथ ही एक जून से कर रहे थे. क्योंकि, नहर में पानी देने का निर्धारित समय विभाग द्वारा किसानों को एक जून ही बताया जाता है. लेकिन, पानी नहीं आने के बाद किसानों ने इसे लेकर डीएम सहित सोन नहर के कार्यपालक अभियंता से भी नहर में पानी छोड़ने की गुहार लगायी. इसके बाद शनिवार को नहर में पानी छोड़ा गया. लेकिन, किसानों के अनुसार यह आपूर्ति मात्र पानी देने के कोरम है. क्योंकि, नहर में पानी का बहाव बहुत कम है. किसानों ने बताया कि गर्मी के कारण वैसे भी नहर की पेटी सूखी पड़ी थी. ऊपर से इतना कम पानी आने से पहले तो नहर के पेटी ही पानी को सोखेगी. बचे हुए पानी से उन्हीं किसानों का पटवन संभव हो सकेगा, जिन किसानों के खेतों का बधार नहर बीमा के आस -पास होगा. बाकी किसानों को पानी नहीं मिल पायेगा. गौरतलब है कि उत्तरप्रदेश के बाण सागर परियोजना से बिहार के रोहतास में स्थित इंद्रपुरी बराज को पानी दिया जाता है. जहां से यह पानी सोन उच्च स्तरीय नहर केनाल के माध्यम से रोहतास और कैमूर के किसानों को पटवन के लिए विभाग द्वारा उपलब्ध कराया जाता है. इसमें कैमूर का कोटा 500 क्यूसेक पानी की आपूर्ति का है. = 15 जून से सभी माइनरों में पानी की आपूर्ति बहरहाल, सोन नहर में पानी तो आ गया है. लेकिन, डाले गये बीहन के पटवन या बीहन डालने के लिए पानी को लेकर जद्दोजहद कर रहे किसानों को अभी भी सोन उच्च स्तरीय नहर का पानी नहीं मिलने जा रहा है. क्योंकि जब इस संबंध में सोन उच्च स्तरीय नहर विभाग के अधीक्षण अभियंता अजय कुमार से बात की गयी तो उनका कहना था कि अभी मुख्य नहर में 200 क्यूसेक पानी छोड़ा गया है. क्योंकि नहर के तटबंधों की मरम्मत का काम किया जा रहा है. इसलिए कम पानी की आपूर्ति करायी जा रही है. हालांकि, पानी का कोई अभाव नहीं है. बावजूद इसके मरम्मत की वजह से मुख्य नहर के विभिन्न माइनरों और वितरणियों में पानी की आपूर्ति अभी नहीं करायी जायेगी. 15 जून से मुख्य नहर के सभी माइनरों और वितरणियों में पानी की आपूर्ति शुरू करा दी जायेगी. इसके बाद टेल के किसानों को भी पटवन के लिए पानी उपलब्ध होने लगेगा. इन्सेट कई माइनरों में सफाई व मरम्मत का काम नहीं हो सका है पूरा भभुआ. वैसे तो विभाग या विभाग के अधिकारियों द्वारा यह दावा किया जा रहा है कि नहर या माइनरों की मरम्मत के कारण अभी कैमूर के पानी का फुल पैक नहर में नहीं छोड़ा गया है. लेकिन, धरातल की सच्चाई यह है कि पूर्व में सोन नहर के 21 माइनर या वितरणियों की मरम्मत के लिये जो प्रस्ताव सरकार को भेजा गया था. उसमें से पांच वितरणियों की मरम्मत या सफाई का काम विभाग द्वारा शुरू कराया गया है. बाकि मामले ज्यों के त्यों पड़े हुए हैं. उदाहरण के लिए जिला मुख्यालय से गुजरने वाली सीवों वितरणी का नाम दिया जा सकता है. इसकी सफाई नहीं होने के कारण मुख्यालय के दोनों पुलियों से पानी का बहाव अवरूद्ध हो चुका है. इसके कारण भभुआ के उत्तरी क्षेत्र के भेकास, चांदो रूइंया, कुंज कलौंज, सिकठी आदि तीन दर्जन गांवों के बधार सूखे पड़े हैं और इस वितरणी के तटबंध जर्जर हो चुके हैं. रही सही कसर बेहाया और अन्य झाड़ियों के पौधों ने पूरी तरह वितरणी को पाटकर पूरा कर दिया है. हालांकि, अधीक्षण अभियंता अजय कुमार का कहना है कि इन वितरणियों की साफ-सफाई और मरम्मत को लेकर सिंचाई विभाग के मौसमी कर्मियों को आदेश जारी कर दिया गया है. उनके द्वारा सफाई का काम जल्द ही पूरा कर दिया जायेगा.
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