19.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

जिला बनने के 34 साल बाद भी डीएम व एसपी रहते हैं किराये के मकान में

KAIMUR NEWS.कैमूर जिला गठन के 34 वर्ष बीत जाने के बाद भी जिले के शीर्ष प्रशासनिक अधिकारियों के पास अबतक अपना स्थायी आवास नहीं है. यह स्थिति उस जिले की है जिसके समाहरणालय परिसर की सुंदरता और व्यवस्थित प्रशासनिक ढांचे की पूरे बिहार में चर्चा होती है.

एसडीएम का भी नहीं है अपना आवास, रहते हैं पुराने सरकारी भवन में

प्रशासनिक दृष्टिकोण से आवास नहीं है सही प्रतिनिधि, भभुआ नगर.

कैमूर जिला गठन के 34 वर्ष बीत जाने के बाद भी जिले के शीर्ष प्रशासनिक अधिकारियों के पास अबतक अपना स्थायी आवास नहीं है. यह स्थिति उस जिले की है जिसके समाहरणालय परिसर की सुंदरता और व्यवस्थित प्रशासनिक ढांचे की पूरे बिहार में चर्चा होती है. लेकिन, विडंबना यह है कि इस समाहरणालय के जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक अब भी किराये पर अतिथि गृहों में रहने को विवश हैं. वर्तमान में जिलाधिकारी सिंचाई विभाग के सर्किट हाउस में रहते हैं, जबकि पुलिस अधीक्षक का आवास जिला परिषद के सर्किट हाउस में बना हुआ है. दोनों आवास न तो आधुनिक मानकों के अनुरूप हैं और न ही प्रशासनिक सुविधा के लिहाज से उपयुक्त माने जाते हैं. दूसरी ओर, जिले के विकास कार्यों में पिछले कुछ वर्षों में तेजी से सुधार हुआ है और कैमूर अब राज्य के विकसित जिलों में अपना स्थान बना रहा है. इसके बावजूद जिले के सर्वोच्च अधिकारियों के लिए स्थायी आवास की व्यवस्था न होना प्रशासनिक दृष्टि से बड़ी चुनौती के रूप में देखा जा रहा है. केवल डीएम व एसपी ही नहीं, बल्कि भभुआ अनुमंडल पदाधिकारी भी जर्जर और पुराने भवन में रहने को विवश हैं. यह भवन वर्षों पुराना है और मरम्मत के अभाव में इसकी स्थिति लगातार खराब होती जा रही है. इसी प्रकार पुराने समय में बनाये गये सर्किट हाउस और सरकारी भवनों में अपर समाहर्ता सहित अन्य कई पदाधिकारी रहने की व्यवस्था करते हैं. इन भवनों की संरचना भी वर्तमान समय की आवश्यकताओं के अनुसार नहीं है, जिससे अधिकारियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

सुविधाजनक आवास नहीं होना प्रशासनिक कार्यों को करता है प्रभावित

स्थानीय लोगों का कहना है कि जिस जिले में योजनाएं तेजी से धरातल पर उतर रही हैं. सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य और प्रशासनिक ढांचे में निरंतर सुधार दिख रहा है, वहां उच्च अधिकारियों के रहने की समुचित व्यवस्था न होना गंभीर चिंता का विषय है. अधिकारी भी अनौपचारिक रूप से स्वीकार करते हैं कि सुरक्षित और सुविधाजनक आवास की कमी प्रशासनिक कार्यों को प्रभावित करती है.

कई बार आवासीय परिसर निर्माण के लिए रखा गया प्रस्ताव

गौरतलब है कि सरकारी स्तर पर कई बार नये आवासीय परिसरों के निर्माण का प्रस्ताव रखा गया. लेकिन, न तो बजटीय स्वीकृति मिल पायी न ही प्रक्रिया संबंधी बाधाओं के कारण प्रोजेक्ट आगे बढ़ सका. अब जिले के लोग उम्मीद कर रहे हैं कि सरकार और प्रशासन इस दिशा में पहल करेगी, ताकि कैमूर जिले के अधिकारी भी अन्य जिलों की तरह आधुनिक और सुरक्षित सरकारी आवास का लाभ उठा सकें.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel