= किराये के मकान में चल रहा जिला मुख्यालय में उद्योग व चकबंदी कार्यालय स्टेडियम के भवन में चलता है सीडीपीओ कार्यालय जर्जर भवन में चलते हैं प्रखंडों में स्थित चकबंदी कार्यालय भभुआ नगर. जिला बने भले ही 34 वर्ष बीत गये, लेकिन आज भी भभुआ जिले में सरकारी दफ्तरों की बदहाली का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. जिला मुख्यालय हो या प्रखंड स्तर पर कई विभाग आज भी निजी भवनों में किराये पर या जर्जर इमारतों में संचालित हो रहे हैं. इससे न केवल सरकारी कार्य प्रभावित होते हैं, बल्कि कर्मचारियों और आमजनों की सुरक्षा को लेकर भी बड़ा खतरा बना हुआ है. सबसे गंभीर स्थिति चकबंदी कार्यालय की है, जिले का चकबंदी कार्यालय अभी तक खुद का भवन न होने के कारण किराये के भवन में संचालित हो रहा है, तो रामपुर प्रखंड सहित कई प्रखंडों में संचालित हो रहे चकबंदी कार्यालय जर्जर भवन में संचालित हो रहे हैं. संचालित हो रहे कार्यालय की भवन की दीवारों में दरारें साफ दिखती हैं, छत पर प्लास्टर झड़ता रहता है और बरसात में पानी रिसना आम बात है. कर्मचारियों के अनुसार, कई बार विभाग को नये भवन निर्माण की मांग भेजी गयी, लेकिन अब तक कोई ठोस पहल नहीं की गयी है. यह स्थिति सिर्फ जिला मुख्यालय तक सीमित नहीं है, बल्कि कई प्रखंडों के चकबंदी कार्यालय भी इसी हाल में चल रहे हैं, जहां कभी भी बड़ा हादसा भी हो सकता है. इसी तरह जिला उद्योग विभाग कार्यालय भी वर्षों से निजी भवन में किराये पर चल रहा है. विभागीय कार्यों में आने वाले लाभुकों को संकरे कार्यालय, बैठने की पर्याप्त व्यवस्था न होने और रिकॉर्ड सुरक्षित रखने की परेशानी का सामना करना पड़ता है. विकास के दावे करने वाले जिले में अब तक उद्योग विभाग का स्थायी भवन न बन पाना विभागीय लापरवाही को उजागर करता है. सबसे चौंकाने वाली स्थिति भभुआ बाल विकास प्रखंड कार्यालय की है, जो जिला मुख्यालय में स्थित होने के बावजूद आज भी जगजीवन स्टेडियम परिसर के एक पुराने भवन में संचालित हो रहा है. यह भवन मूल रूप से खेल गतिविधियों के लिए बनाया गया था. लेकिन वर्षों से इसे कार्यालय के रूप में उपयोग किया जा रहा है. स्टेडियम में खेल गतिविधियों के दौरान भी कार्यालयीन कार्य प्रभावित होते हैं. वहीं, कार्यालय परिसर में आवश्यक सुविधाओं का घोर अभाव बना रहता है. स्थानीय लोगों का कहना है कि जिला बनने के 34 वर्ष बाद भी यदि महत्वपूर्ण विभागों के लिए स्थायी भवन सुनिश्चित नहीं हो पाया है, तो यह सरकार और प्रशासन की योजनागत कमजोरी को दर्शाता है. कई बार जनप्रतिनिधियों और सामाजिक संगठनों ने इस मुद्दे को उठाया, लेकिन धरातल पर आज तक सकारात्मक बदलाव देखने को नहीं मिला है. इधर, कई बार कर्मचारियों ने चेतावनी भी दी है कि अगर जल्द नये भवनों का निर्माण नहीं कराया गया, तो जर्जर इमारतों में काम करना न सिर्फ मुश्किल होगा, बल्कि किसी दिन बड़ा हादसा भी हो सकता है. बावजूद इसके जिला प्रशासन या सरकार स्तर से इसे लेकर अब तक ध्यान नहीं दिया जा रहा है. जबकि, जिले के विकास के लिए यह आवश्यक है कि प्रशासन तत्काल इन विभागों को सुरक्षित और स्थायी भवन उपलब्ध कराये, ताकि सरकारी कामकाज सुचारू रूप से चल सके और जनता को बेहतर सुविधाएं मिल सके. = संकरी गली में चलता है चकबंदी कार्यालय गौरतलब है कि भभुआ चकबंदी कार्यालय आज भी मुहल्ले की तंग गलियों में स्थित एक किराये के भवन से संचालित हो रहा है. वर्षों से स्थायी भवन न मिलने के कारण कार्यालय का पता भी बार-बार स्थान बदलता रहा है, जिससे आम लोगों को भारी परेशानी झेलनी पड़ती है. संकरी गलियों में स्थित होने के कारण पहली बार आने वाले लाभुकों को कार्यालय ढूंढ़ने में भी काफी दिक्कत होती है. कई बार लोग गलत जगह पहुंच जाते हैं या रास्ता भटक जाते हैं, जिससे उनके समय और ऊर्जा दोनों बर्बाद होते हैं. भवन छोटा होने के कारण फाइलें सुरक्षित रखना और भीड़ को संभालना भी कर्मचारियों के लिए चुनौती बना हुआ है. स्थानीय लोगों का कहना है कि चकबंदी जैसे महत्वपूर्ण विभाग को जल्द से जल्द मुख्य सड़क किनारे किसी सुलभ और स्थायी भवन में शिफ्ट किया जाये, ताकि जनता को राहत मिल सके तो जिला उद्योग विभाग का भी लगभग यही हाल है.
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