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कौडीराम मध्य विद्यालय में सुविधाओं का अभाव, जोखिम में बच्चों की पढ़ाई

भवन, बाउंड्री और पक्के रास्ते के बिना 339 छात्र-छात्राएं पढ़ने को मजबूर

भवन, बाउंड्री और पक्के रास्ते के बिना 339 छात्र-छात्राएं पढ़ने को मजबूर बरामदे में कक्षाएं, खेतों की पगडंडी से स्कूल पहुंचते हैं बच्चे मोहनिया शहर. भले ही शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए विभाग द्वारा लगातार प्रयास किये जा रहे हैं, लेकिन आज भी कई विद्यालय ऐसे हैं जहां भवन, भूमि और पहुंच पथ का अभाव बना हुआ है. इसका सीधा असर छात्रों की पढ़ाई और सुरक्षा पर पड़ रहा है. स्थानीय प्रखंड के कौडीराम मध्य विद्यालय की स्थिति भी कुछ ऐसी ही है, जहां बुनियादी सुविधाओं की भारी कमी देखने को मिल रही है. विद्यालय में न तो समुचित भवन उपलब्ध है, न सुरक्षित चारदीवारी और न ही आने-जाने के लिए पक्का रास्ता. ऐसे में यहां पढ़ने वाले छात्र-छात्राएं रोजाना जोखिम भरे हालात में शिक्षा ग्रहण करने को विवश हैं. जानकारी के अनुसार विद्यालय में कुल पांच कमरे ही उपलब्ध हैं, जिनमें से एक का उपयोग कार्यालय के रूप में किया जा रहा है, जबकि शेष चार कमरों में सभी कक्षाएं संचालित की जा रही हैं. कमरों की कमी के कारण छोटे बच्चों को बरामदे में बैठकर पढ़ाई करनी पड़ती है. ठंड के मौसम में बच्चों को सर्दी झेलनी पड़ती है, वहीं गर्मी और बरसात के दिनों में भी बरामदे में ही कक्षाएं चलती हैं, जिससे बच्चों की सेहत और पढ़ाई दोनों प्रभावित हो रही हैं. विद्यालय तक पहुंचने के लिए गांव से कोई पक्का रास्ता भी नहीं है. छात्र-छात्राओं को खेतों के बीच से गुजरने वाली किचड़युक्त पगडंडी से होकर विद्यालय जाना पड़ता है. बरसात के दिनों में यह रास्ता और भी खतरनाक हो जाता है. इसके अलावा विद्यालय की चहारदीवारी नहीं होने से बच्चों की सुरक्षा को लेकर अभिभावकों में गहरी चिंता बनी हुई है. अभिभावकों का कहना है कि कई बार शिकायत करने के बावजूद अब तक भवन निर्माण, बाउंड्री और संपर्क पथ को लेकर कोई ठोस पहल नहीं की गयी है. उन्होंने शिक्षा विभाग और प्रशासन से तत्काल भवन विस्तार, चहारदीवारी निर्माण और पक्के रास्ते की मांग की है, ताकि बच्चों को सुरक्षित और सम्मानजनक माहौल में शिक्षा मिल सके. भवन के अभाव में शिक्षण कार्य प्रभावित मोहनिया प्रखंड के कौडीराम मध्य विद्यालय में कक्षा एक से आठ तक की पढ़ाई होती है. विद्यालय में कुल 339 छात्र-छात्राओं का नामांकन है, लेकिन महज पांच कमरों में ही पूरा विद्यालय संचालित किया जा रहा है. एक कमरे में कार्यालय चलता है, जबकि शेष चार कमरों में वरिष्ठ कक्षाओं के छात्र बैठते हैं. मजबूरी में कई कमरों में दो-दो कक्षाओं की पढ़ाई एक साथ करायी जाती है और छोटे बच्चों को बरामदे में बैठना पड़ता है. विद्यालय में आधा दर्जन से अधिक शिक्षक पदस्थापित हैं, लेकिन भवन के अभाव में शिक्षण कार्य प्रभावित हो रहा है. इससे बच्चों की पढ़ाई की गुणवत्ता पर भी असर पड़ रहा है. क्या कहते हैं हेडमास्टर इस संबंध में विद्यालय के प्रधानाध्यापक ने बताया कि विद्यालय में कमरों का भारी अभाव है. साथ ही चहारदीवारी नहीं होने के कारण बच्चों की सुरक्षा को लेकर भी परेशानी बनी रहती है. सभी समस्याओं से विभाग को अवगत करा दिया गया है, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो सकी है.

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