मोहनिया शहर. भारतीय सभ्यता और संस्कृति दुनिया में सर्वश्रेष्ठ है. लेकिन हम पश्चिमी सभ्यता का अनुकरण करने में अपनी मूल संस्कृति से दूर होते जा रहे हैं. जन्मदिन पर दिया जलाने की परंपरा की जगह हमलोग मोमबत्ती बुझाने लगे हैं. यह प्रवृत्ति हमें पश्चिम की ओर धकेल रही है, जिससे बचना चाहिए. उक्त बातें प्रज्ञा प्रवाह के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य व मुख्य वक्ता रामाशीष सिंह ने शनिवार को आयोजित संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कही. उन्होंने कहा कि धर्म संविधान से परिभाषित नहीं हो सकता है. धर्म को समझने के लिए भारतीय संस्कृति को गहराई से जानना जरूरी है. हमारी संस्कृति की अवधारणा प्राचीन है, और इसी के विकास से भारत निरंतर आगे बढ़ेगा. उन्होंने मैकाले का उदाहरण देते हुए कहा कि किसी भी देश को गुलाम बनाने के लिए वहां की शिक्षा प्रणाली और संस्कृति को नष्ट करना पड़ता है. इसलिए हमें अपनी भाषा और संस्कृति को संजोकर रखना होगा. पश्चिमी सभ्यता और भाषा के बल पर हम आगे नहीं बढ़ सकते. राजनीति आती-जाती रहेगी, लेकिन धर्म शाश्वत है. स्व एवं भारत विषय पर संगोष्ठी
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