कैमूर के छात्रों को उच्च शिक्षा के लिए अब भी छोड़ना पड़ता है जिला एग्रीकल्चर पढ़ाई के लिए रुख करना पड़ता है यूपी और उत्तरी बिहार प्रतिनिधि,भभुआ नगर. कैमूर जिले में हुए विधानसभा चुनाव में इस बार उच्च शिक्षा का मुद्दा छात्र-छात्राओं व अभिभावक मतदाताओं के बीच प्रभावी नहीं हो सका. धान का कटोरा कहे जाने वाले इस कृषि प्रधान जिले में आज भी उच्च शिक्षा की सुविधाएं बेहद सीमित हैं. विशेषकर कृषि शिक्षा के लिए यहां कोई समुचित संस्थान नहीं है, जिसके कारण जिले के छात्रों को उत्तर प्रदेश के बनारस, गाजीपुर, इलाहाबाद से लेकर उत्तरी बिहार के पूर्णिया, सबौर और दरभंगा तक का रुख करना पड़ता है. बावजूद इसके चुनावी हवा में शिक्षा से ज़्यादा विकास और सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के लाभ ने बड़ा फैक्टर काम किया. जिले के विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों में हुई जनसभाओं और जनसंपर्क में यह साफ झलकता रहा कि युवा भले ही कृषि विश्वविद्यालय, टेक्निकल कॉलेज और प्रोफेशनल कोर्स की मांग कर रहे थे, लेकिन मतदान के समय स्थानीय विकास कार्य और रोजमर्रा की जरूरतें ज्यादा निर्णायक साबित हुई. खराब सड़कें, पेयजल, सिंचाई, बिजली आपूर्ति और आवागमन जैसी समस्याएं मतदाताओं की पहली प्राथमिकता रहीं. चुनाव परिणामों के विश्लेषण से भी यह स्पष्ट हुआ कि महिलाओं के बीच लोकप्रिय हुई विभिन्न वित्तीय सहायता योजनाओं का सीधा असर मतों पर पड़ा. मुख्यमंत्री सहायता योजना के तहत महिलाओं के खाते में आए 10,000 रुपये ने बड़ी संख्या में महिला मतदाताओं का रुझान एकतरफा किया. विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं ने इस फैसले को अपनी आर्थिक मजबूती से जोड़ कर देखा और उसी आधार पर मतदान किया. इस बार पुरुषों की तुलना में महिलाओं का मतदान प्रतिशत अधिक रहना भी इसका संकेत है कि महिला मतदाताओं ने अपनी सुविधा, सुरक्षा और आर्थिक लाभ को प्राथमिकता दी. इसके मुकाबले उच्च शिक्षा की मांग और युवाओं के मुद्दे पिछड़ते दिखे. जिले के युवाओं ने भले ही सोशल मीडिया पर कृषि विश्वविद्यालय, लॉ कॉलेज और प्रोफेशनल शिक्षा की कमी को मुद्दा बनाया हो, लेकिन जमीनी स्तर पर इनकी आवाज चुनावी समीकरण बदलने में सफल नहीं हुई. कुल मिलाकर कैमूर के विधानसभा चुनाव में उच्च शिक्षा का मुद्दा पीछे रह गया, जबकि विकास के कार्यों और महिलाओं के खाते में आयी राशि ने पूरे चुनावी परिदृश्य को प्रभावित किया. जिसका नतीजा हुआ कि कैमूर के चारों सीटों में तीन एनडीए की पक्ष में गयी, वहीं रामगढ़ की सीट पर भी मामूली अंतर से हार हुई.
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