भभुआ सदर. विश्व यक्ष्मा दिवस के अवसर पर सोमवार को टीबी मुक्त अभियान के लिए सदर अस्पताल से स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा जागरूकता रैली निकाली गयी. रैली को सदर अस्पताल से जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ आरके चौधरी द्वारा रवाना किया गया. इस दौरान एसीएमओ डॉ शांति कुमार मांझी, जिला वेक्टर रोग जनित पदाधिकारी डॉ सत्यस्वरूप आदि उपस्थित रहे. जागरूकता रैली के बाद सदर अस्पताल स्थित सीएस सभागार में टीबी मुक्त अभियान को लेकर आयोजित कार्यशाला में जुटी एएनएम को जानकारी दी गयी. जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी सह यक्ष्मा नियंत्रण पदाधिकारी डॉ आरके चौधरी ने बताया कि आज विश्व यक्ष्मा दिवस पर जिले के सभी प्रखंडों पर प्रभातफेरी, रैली और अन्य कार्यक्रम आयोजित किये गये. साथ ही सभी हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर व जेलों में टीबी से जुड़े जागरूकता कार्यक्रम हुए है. टीबी से जिले और देश को 2025 मुक्त बनाने के लिए नये टीबी रोगियों की खोज और उनके तुरंत उपचार को प्राथमिकता दी जा रही है. भारत सरकार का लक्ष्य है कि पूरे देश को 2025 तक टीबी मुक्त बनाना है. डॉ चौधरी ने बताया कि टीबी को हराने के लिए सबसे पहले हमारे समाज को आगे आने की जरूरत है. वहीं गरीबी और कुपोषण टीबी के सबसे बड़े कारक हैं. इसके बाद अत्यधिक भीड़, कच्चे मकान, घर के अंदर प्रदूषित हवा, प्रवासी, डायबिटीज, एचआइवी, धूम्रपान भी टीबी के कारण होते हैं. टीबी मुक्त करने के लिए सक्रिय रोगियों की खोज, प्राइवेट चिकित्सकों की सहभागिता, मल्टी सेक्टरल रिस्पांस, टीबी की दवाओं के साथ वैसे समुदाय के बीच पहुंचाने की जरुरत है. इसके अलावा निक्षय योजना के तहत प्रत्येक टीबी मरीज को पूरे इलाज के दौरान 500 रुपये दिये जा रहे हैं, ताकि वह अपने पोषण की जरूरतों को पूरा कर सके. यह राशि सीधे टीबी मरीजों के बैंक खाते में जाती है जो कि बिल्कुल ही पारदर्शी व्यवस्था से गुजरता है. निक्षय मित्र योजना के तहत लोगों से अपील की जा रही है कि वह आगे आकर टीबी मरीजों को गोद लेकर उनकी पोषण की जरूरतों को पूरा करें और टीबी उन्मूलन अभियान में अपनी सहभागिता सुनिश्चित करें. जिला यक्ष्मा पदाधिकारी ने बताया कि प्राइवेट और सरकारी चिकित्सक मिलकर टीबी रोगियों की खोज कर उसे सरकारी अस्पताल में इलाज व जांच के लिए प्रेरित करें. प्राइवेट डॉक्टरों से अपील करते हुए डॉ चौधरी ने कहा कि वैसे मरीज जो उनके पास टीबी के इलाज के लिए आते हैं उन्हें यूएसडीटी, एचआईवी और ब्लड शुगर की जांच कराने सरकारी अस्पताल में जरूर भेजें. वहीं, टीबी मरीजों की पहचान करने पर प्राइवेट चिकित्सकों को भी राशि प्रदान की जाती है.
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