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विकलांग कृत्रिम अंग फैक्टरी का 15 वर्ष बाद भी नहीं हुआ निर्माण

The foundation stone was laid near Seva Niketan High School in the local block, the factory to make artificial limbs for the disabled has not been able to come in its original form even after 15 years.

मोहनिया शहर. स्थानीय प्रखंड स्थित सेवा निकेतन हाइस्कूल के समीप लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष सह पूर्व केंद्रीय मंत्री मीरा कुमार द्वारा शिलान्यास किये गये विकलांगों के लिए कृत्रिम अंग बनाने की फैक्टरी अपने मूल रूप में 15 वर्ष बाद भी नहीं आ सका है. यहां टूटे-फूटे अवस्था में पड़े फैक्टरी के शिलान्यास का शिलापट्ट भी इसकी बदहाली के गवाही दे रहा हैं. यहां 15 वर्ष में महज केवल जमीन का सीमांकन ही किया गया है. वहीं, इस लोकसभा चुनाव में जनता सवाल पूछेगी कि आखिर 15 वर्ष बाद भी इस महत्वाकांक्षी फैक्टरी का निर्माण क्यों नहीं हो सका. इधर, फैक्टरी निर्माण को लेकर लोगों में काफी आस जगी थी कि फैक्टरी के निर्माण के बाद यहां के लोगों को रोजगार मिलेगा. लेकिन, शिलान्यास के 15 वर्ष बाद भी फैक्टरी के निर्माण में केंद्र के किसी सरकार ने दिलचस्पी नहीं दिखायी, इससे आज भी योजना अधर में लटकी है. मालूम ही कि पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सह पूर्व सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्री मीरा कुमार द्वारा 24 दिसंबर 2009 को विकलांग के लिए कृत्रिम अंग (एलिम्को) फैक्टरी के निर्माण के लिए शिलान्यास किया गया था. इस दौरान काफी अमला लोग शामिल थे. शिलान्यास मोहनिया प्रखंड के बरहुली गांव के पास सेवा निकेतन हाइस्कूल के समीप स्थित सरकारी खाली जमीन पर किया गया था, जहां शिलान्यास के दौरान बड़े अक्षर में लिखा शिलापट्ट भी लगाया गया. लेकिन, आज करीब 15 पूरा होने को हैं, लेकिन निर्माण नहीं हो सका. अब तो शिलान्यास का शिलापट्ट भी टूट कर बिखर गया है, जिसपर लिखे अक्षर भी मिट गये हैं. 15 वर्ष में केवल जमीन का सीमांकन कर कटीले तार से घेराबंदी कर छोड़ दिया गया है, लेकिन अब घेरेबंदी में लगे कई पाये भी गिर गये हैं. इस फैक्टरी का निर्माण आखिर कब होगा, किसी को पता ही नहीं है. वहीं, टूटे अवस्था में पड़ा शिलापट्ट केवल शिलान्यास का गवाह बन कर रह गया है. लोकसभा चुनाव में फैक्टरी निर्माण का मुद्दा रहेगा हावी वर्ष 2009 को पूर्व मंत्री मीरा कुमार द्वारा विकलांग कृत्रिम अंग निर्माण के लिए फैक्टरी का शिलान्यास जिस शिलापट्ट पर किया गया था, उसका अस्तित्व भी अब समाप्ति के कगार पर है. एनएच दो के किनारे सेवा निकेतन स्कूल के समीप किये गये शिलान्यास का शिलापट्ट अब कई हिस्से में टूट कर बिखरा पड़ा है. इसके साथ ही उसकी लिखावट भी पूरी तरह से मिट गयी है. टूटे पड़े अवस्था में शिलापट्ट आज भी फैक्टरी की याद दिला रहा है कि कभी फैक्टरी निर्माण के लिए यहां शिलान्यास भी हुआ था. लेकिन, इस लोकसभा चुनाव में यह मुद्दा काफी हावी रहेगा, जहां लोगों का कहना है कि यदि फैक्टरी का निर्माण हो जाता तो नौकरी के लिए बाहर नहीं जाना पड़ता. यहीं पर नौकरी मिल जाती. गौरतलब है कि एलिम्को लिखे पाया से जमीन का सीमांकन कर घेराबंदी किया गया हैं, जहां भेड़ पालक अपना भेड़ों को सुरक्षित समझ रखते हैं. # क्या कहते हैं स्थानीय लोग # – इस संबंध में पुसौली गांव निवासी सर्वजीत चौरसिया ने बताया इस जगह पर 2009 में फैक्टरी निर्माण के लिए शिलान्यास हुआ था. उस समय मीरा कुमार आयी थीं, लेकिन शिलान्यास के 15 वर्ष बीत जाने के बाद भी निर्माण नहीं हो सका. इस चुनाव में यह हमलोगों के लिए यही सबसे बड़ा मुद्दा है. स्थानीय लोगों को इस फैक्टरी के निर्माण से रोजगार मिलता. इस संबंध में होरीलापुर निवासी अशोक पासवान ने बताया 2009 में पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार द्वारा विकलांग के लिए कृत्रिम अंग निर्माण के लिए फैक्टरी का शिलान्यास किया गया था, उस कार्यक्रम में हम भी शामिल हुए थे. लेकिन, आज तक केंद्र की सरकार द्वारा इस पर ध्यान नहीं दिया गया. शिलान्यास के बाद पांच वर्ष यूपीए की सरका,र तो 10 वर्ष एनडीए की सरकार केंद्र में रही. लेकिन, किसी द्वारा ध्यान नहीं दिया गया. इस चुनाव में जनता प्रत्याशियों से इस मुद्दे पर जरूर सवाल पूछेगी.

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