भभुआ सदर. अब जैसे-जैसे कैमूर के सभी चारों विधानसभा क्षेत्र में चुनाव और मतदान का दिन नजदीक आता जा रहा है, वैसे- वैसे गांव से लेकर शहर में चुनावी चर्चे शुरू हो गये है. खासकर, चूल्हे चौके में लगनेवाली महिलाएं व युवतियां की चुनाव चर्चे पर मुखर हो रही है. वैसे भी अब सुदूरवर्ती गांव में भी इंटरनेट व अखबार आसानी से मिल रहा है और पिछले चुनाव तक अपने घर के पुरुष के मत से मतदान करती रही आधी आबादी पिछले दस सालों में आश्चर्यजनक रूप से अब सचेत व मुखर हो चली है और मतदान में भी स्वयं के निर्णय से अपने क्षेत्र का विधायक चुनना चाहती है. महिलाओं के मुखर होने से गांव टोलों में चुनावी चर्चा का विषय वस्तु बदल सा गया है. सोमवार को जब भभुआ प्रखंड के अखलासपुर गांव के एक टोले में महिलाएं चुनावी चर्चा कर रही थीं, तो इस दौरान सबों की अपनी-अपनी पसंद थी. इस संबंध में गांव की अनीता देवी कहती मिली कि पिछले कुछ वर्षों में बहुत कुछ बदला है. इस दौरान सबसे बड़ा बदलाव घर-घर में शौचालय और स्वच्छता अभियान शुरू होने से आया है. वहीं, उज्ज्वला योजना के तहत लगभग हर एक घर में रसोई गैस कनेक्शन लग गया है और घर-घर बिजली का बल्ब भी जल रहा है. सबसे बड़ी बात है कि इन तीनों योजना में हम गरीबों के जेब से एक भी पैसा नहीं लगा. इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार धन्यवाद के पात्र हैं. हमारा मत तो इस बार नीतीश कुमार और भाजपा को ही जायेगा. अब प्रत्याशी चाहे कोई भी रहे, उन्हीं की 19 वर्षीय बेटी सुषमा जो इस बार पहली बार मतदान करेगी. अपनी मां के समर्थन में डटकर खड़ी थी. बोली, नीतीश कुमार और उनका स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम बहुत ही शानदार है. हम युवाओं को इससे रोजगार के अवसर मिल रहे है. इसपर वहीं बैठी सुगनी देवी गरम हो गयी… कैसी सरकार और कहा हैं सरकार… नीतीश कुमार के 20 साल के शासन में कुछ नहीं किया गया. बिहार में रोजगार भी कम मिल रहा है. मोदी जी तो जुमलेबाज हैं. इसलिये, इस बार हम तो तेजस्वी यादव के कैंडिडेट को ही वोट देंगे, वो हम गरीबों की सुनते हैं. तभी उन्हीं की बगल में बैठी पवित्री देवी बोली, नहीं-नहीं, इस बार किसी दूसरे पार्टी या निर्दलीय उम्मीदवार जो उचित हो उसे वोट देंगे, ताकि कुछ नया हो. इसी बीच कुछ दूर बैठी आशा देवी तपाक से बोल पड़ीं कि, मोदी जी केंद्र के लिए ठीक हैं. मजबूत सरकार के लिए महागठबंधन और दूसरे पार्टी को वोट देकर वह अपना कीमती मत बर्बाद नहीं करेगी. इसी बीच शहीद संजय सिंह महिला कॉलेज में पढ़ने वाली छात्रा ममता बोलती हैं कि इस बार हम किसी से प्रसन्न नहीं हैं. सब वादा करके ठग लेते हैं और केवल अपना पेट भरते हैं, इसलिए उसका वोट इस बार निर्दलीय प्रत्याशी को जायेगा. वैसे, जब इन महिलाओं से पूछा गया कि, देश और राज्य की इतनी गंभीर बातें आपको इस देहात में कैसे पता चलती हैं तो सभी फट से बोल पड़ती हैं कि मोबाइल में वीडियो से या फिर गांव में सुबह में ही अखबार आ जाता है. जब सभी काम से निवृत होते है तो पुरुषों के किये जाने वाले चुनावी चर्चे की रोचकता पर वह लोग भी अखबार पढ़ लेती हैं. घर में चल रहे टीवी, मोबाइल पर भी सब जानकारी उपलब्ध रहता है. वैसे, कुल मिलाकर इन महिलाओं से बात करने में एक बात सामने आयी कि महिलाएं रोजमर्रा की चीजों और किये जा रहे वादों पर चर्चा कर रही थी, तो आधी आबादी की युवा मतदाता राष्ट्रवाद व अभी के ज्वलंत समस्याओं पर ज्यादा चर्चाएं कर रही थीं. और यह एक सुखद अहसास भी है कि इस बार के लोकतंत्र के पर्व विधानसभा चुनाव में अपने मुद्दों पर महिलाओं भी मुखर हैं, यह बहुत ही सुखद संदेश दे रही है और लग रहा है कि पुरुषों की तरह अब महिलाएं, युवतियां भी चुनावी चकल्लस में अपनी सरकार और अपने विधायक चुनने में घर के पुरुष सदस्यों के निर्णय से अलग सोच रही हैं. वैसे, मतदान का दिन आते आते अभी कई तरह के समीकरण और दांव पेच नेताओं की तरह ही मतदाताओं के बीच भी बनते बिगड़ते रहेंगे. = स्थानीय मुद्दे नहीं, नीतीश-तेजस्वी और बिहार की चर्चा पर महिलाएं हो रहीं मुखर
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