रामपुर. प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत बसिनी गांव में होने वाले पांच दिवसीय श्रीलक्ष्मी नारायण महायज्ञ में पहले दिन गुरुवार की देर शाम पुण्डरीक जी महाराज द्वारा श्रद्धालुओं को श्रीराम कथा के वर्णन में याज्ञवल्क्य जी महाराज ने भारद्वाज ऋषि के प्रश्नों का समाधान करते हुए राम तत्व के वर्णन से पूर्व शिव तत्व का वर्णन करके सुनाया. पहले सती और शिव का परम पवित्र चरित्र सुनाया, इसके बाद कथा की महिमा का बखान करते हुए बताया कि भगवान शंकर एक बार अगस्त जी महाराज के यहां कथा सुनने के लिए गये थे, पर शिव जी ने कथा सुनी और सती मैया ने कथा नहीं सुनी, जिसका परिणाम यह हुआ की सती मैया को दक्ष प्रजापति के यज्ञ में जलना पड़ा. इसके पश्चात वही सती बाद में पार्वती बनी और भगवान शिव के साथ विवाह हुआ. जीव का जन्म होता है, शिव अजन्मा है. शिव चरित्र का वर्णन करते हुए भगवान शिव के विवाह के मंगल महामहोत्सव का प्रतिपादन करते हुए बताया कि भगवान शिव ने मन में यह प्रतिज्ञा कर ली थी कि विवाह नहीं करूंगा, इस समय तारकासुर नाम का असुर पैदा हो गया, तब देवताओं ने भगवान शिव से प्रार्थना करके उनका विवाह कराया और फिर कार्तिकेय जी का जन्म हुआ और उन्होंने तारकासुर का वध किया. इसका संकेत यह है कि श्रद्धा और विश्वास के मिलन के बिना नकली धर्म अर्थात अंधविश्वास की सफाई नहीं हो सकती, जब तक की पुरुषार्थ का जन्म न हो. कार्तिकेय पुरुषार्थ के प्रतीक हैं, भगवान गणेश विवेक के प्रतीक है श्रद्धा और विश्वास के मिलन के बाद पुरुषार्थ और विवेक का जन्म होता है. इस दौरान श्रद्धालु श्रीराम व शिव पार्वती की कथा सुन भक्ति के सागर में डुबकी लगाते रहे. ..बसिनी गांव में हो रहा पांच दिवसीय श्रीलक्ष्मी नारायण महायज्ञ
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

