रामगढ़… मई माह में सूरज की बढ़ती तेज तपिश व बह रहे तेज लू के थपेड़ों के बीच क्षेत्र का तापमान 39 डिग्री तक पहुंचने के बाद आम इंसान के साथ बेजुबान मवेशियों की पीड़ा भी लगातार बढ़ती दिख रही है. सोमवार को आलम यह रहा कि सुबह 10 बजे के बाद क्षेत्र की सड़कें जहां सुनी रही, वहीं गांव के बधार में लोग दूर-दूर तक नजर नहीं आये. सबसे ज्यादा परेशान पानी की तलाश में सैकड़ों मील दूर अधौरा पहाड़ से मैदानी भाग में आये पशुपालकों को हुई, जो पिछले एक माह से अपने मवेशियों की प्यास बुझाने को लेकर पानी की तलाश में इधर उधर भटक रहे. अधौरा के पशुपालक अक्सर गर्मी के दिनों में मवेशियों की प्यास बुझाने को लेकर मैदानी भाग में आते हैं, जिनकी प्यास नहर, आहर, पोखर के साथ बधार में किसानों के लगाये गये सबमर्सिबल पंप से गड्ढे में एकत्रित हुए पानी से बुझती है, किंतु नहर के सूखे होने व ग्रामीणों द्वारा ज्यादातर ताल पोखर को पाटकर आशियाना बना लेने के चलते पानी की समस्या गंभीर हो गयी है. प्यास बुझाने को लेकर खेत बधारों में वर्षों से पहाड़ी क्षेत्र से भटक कर मैदानी भाग में आये वन्य जीव हिरण, नीलगाय, वन सुवर भी प्यास बुझाने को लेकर इधर उधर भटक रहे हैं. दरअसल, इसके जिम्मेदार भी धरती के सबसे खूबसूरत कहे जाने वाले इंसान ही है, जिन्होंने प्रकृति के साथ खिलवाड़ करते हुए अपने उपभोग के लिए गांव बधार में सरकारी ताल तलैया को मिट्टी भरते हुए अपना आशियाना बना लिया और पर्यावरण से राहत देने वाले पेड़ों की कटाई कर घर के दरवाजे व डाइनिंग टेबल बना लिये. इंसानों ने उपभोग के लिए पेड़ों की कटाई तो की, किंतु पौधे नहीं लगाये, जिसका दुष्परिणाम आज सभी को भुगतना पड़ रहा है. चंदेश के किसान टिंकू राय, बहुवरा के किसान रिंकू राय व नुआंव के किसान नजबुल होदा ने कहा आने वाले समय में इंसान अगर जल संचय की कवायद में नहीं लगे, तो आगे स्थित और भी ज्यादा खराब होने वाली है. किसानों ने बढ़ती तपिश को देखते हुए सिंचाई विभाग से नहरों में थोड़ा-थोड़ा पानी छोड़ने की मांग की है, जिससे कि मवेशियों व वन्यजीवों की प्यास आसानी से बुझ सके. –मई माह में पारा पहुंचा 39 के पार, लू के थपेड़ों से जनजीवन बेहाल
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