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उदासीनता. वर्षों से बदहाल भवन में चल रहा चकबंदी कार्यालय मनरेगा के सभाकक्ष वाले भवन में चलेगा चकबंदी कार्यालय रामपुर व भगवानपुर अंचलों की चकबंदी का होता है काम रामपुर : प्रखंड मुख्यालय परिसर में स्थित रामपुर व भगवानपुर दोनों अंचल का चकबंदी कार्यालय कई वर्षों से बदहाल भवन में चल रहा है. कार्यालय में […]

उदासीनता. वर्षों से बदहाल भवन में चल रहा चकबंदी कार्यालय
मनरेगा के सभाकक्ष वाले भवन में चलेगा चकबंदी कार्यालय
रामपुर व भगवानपुर अंचलों की चकबंदी का होता है काम
रामपुर : प्रखंड मुख्यालय परिसर में स्थित रामपुर व भगवानपुर दोनों अंचल का चकबंदी कार्यालय कई वर्षों से बदहाल भवन में चल रहा है. कार्यालय में बैठनेवाले अधिकारियों, कर्मचारियों व आनेवाले किसानों को छत के गिरने का हमेशा भय बना रहता है. इसलिए वे बरामदे व पेड़ के नीचे बैठ कर ज्यादातर कार्यों का निबटारा करते हैं. बरसात के दिनों में स्थिति बदतर हो जाती है. वर्षा होने पर कमरे में जगह-जगह पानी टपकने लगता है. इस स्थिति में अधिकारियों, कर्मियों व किसानों को सर छिपाना मुश्किल हो जाता है. साथ ही छत के गिरने का डर भी बना रहता है.
ज्ञात हो कि दोनों अंचल रामपुर व भगवानपुर को मिला कर कुल 272 गांवों का रिकार्ड इस कार्यालय में रखा गया है. बारिश होने पर छत से पानी टपकने से कार्यालय से संबंधित कागजात बचाने के लिए उन्हें प्लास्टिक की चादर से ढक कर रखना पड़ता है.
तीन दशकों से चल रहा है कार्यालय. सूत्रों ने बताया कि उक्त कार्यालय को चलाने के लिए भवन विभाग द्वारा तीन दशक पूर्व लाखों रुपये की लागत से बनाया गया था. भवन बनने के बाद आज तक इसकी मरम्मत नहीं हुई. इस कारण कई वर्षों से यह बदहाल है. विभागीय सूत्रों ने बताया कि यहां भगवानपुर व रामपुर प्रखंड के 272 गांव के कागजात बारिश के पानी से खराब हो जाते हैं.
क्या कहते हैं चकबंदी पदाधिकारी
इस संबंध में पूछने पर चकबंदी पदाधिकारी वैकुंठ प्रसाद सिंह ने बताया कि गुरुवार को बीडीओ से कार्यालय को सुचारु रूप से चलाने के लिए डाटा बेस भवनवाली जगह के लिए कहा गया, तो उन्होंने कहा कि इस पर विचार किया जा रहा है.
क्या कहते हैं बीडीओ
इस संबंध में पूछने पर बीडीओ मनोज कुमार ने बताया कि डाटा बेस भवन में जगह नहीं है.मनरेगा के सभाकक्षवाले भवन में पहले कृषि विभाग चलता था. उसी भवन में चकबंदी कार्यालय को जल्द से जल्द शिफ्ट करा दिया जायेगा.
बैठने के लिए हीं है जगह
विभागीय सूत्रों ने बताया कि एक ही कमरा होने के कारण न ही पदाधिकारियों के बैठने की जगह है और न ही अमीन के लिए जगह है कि वे बैठ कर नक्शा बना सकें. कार्यालय के कमरे की मरम्मत के लिए दस वर्षों से विभागीय बैठक में वरीय अधिकारियों को लिखित रूप से आवेदन देकर मांग की गयी, लेकिन आज तक कोई पहल नहीं की गयी. यहां कार्यालय चलाने के लिए कुल 12 अधिकारी व कर्मचारी हैं, लेकिन उन्हें बैठने के लिए जगह तक नहीं मिलती है, इसलिए बरामदे व पेड़ के नीचे बैठ कर ज्यादातर कार्यों का निबटारा करते हैं. यहां तक कि कार्यालय को सुचारु रूप से चलाने के लिए सरकार द्वारा कंप्यूटर व प्रिंटर भी मिले हैं, लेकिन बदहाल भवन व बिजली की व्यवस्था नहीं होने के कारण अमीन के रूम पर रखा गया है. वहीं से कंप्यूटर संबंधी काम किये जाते हैं.

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