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जितना देंगे रुपये, उतनी ही दी जायेगी बिजली
भभुआ(शहर) : जिले को बिजली सप्लाइ करने वाली साउथ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड ने ग्रामीण इलाकों से बिजली सप्लाइ के अनुपात में बिजली बिल का भुगतान कम होने को लेकर एक कठोर निर्णय लिया है. कंपनी ने जिले के सभी ग्रामीण फीडरों से भुगतान के अनुकूल बिजली आपूर्ति करने का फैसला लिया है. विभाग […]
भभुआ(शहर) : जिले को बिजली सप्लाइ करने वाली साउथ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड ने ग्रामीण इलाकों से बिजली सप्लाइ के अनुपात में बिजली बिल का भुगतान कम होने को लेकर एक कठोर निर्णय लिया है. कंपनी ने जिले के सभी ग्रामीण फीडरों से भुगतान के अनुकूल बिजली आपूर्ति करने का फैसला लिया है. विभाग के फीडर में जितने गांव या कस्बे आयेंगे, उनमें दी जाने वाली बिजली की रिडिंग फीडर के अनुसार होगी और इसी के अनुसार ही बिल भी भेजा जायेगा.
गौरतलब है कि बिजली विभाग ने बिल भुगतान पर सख्त रवैया अपनाते हुए उपभोक्ताओं पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है. विभाग द्वारा सभी ग्रामीण इलाकों के उपभोक्ताओं को मीटर नहीं दिये गये हैं. वहीं जिले के सभी गांवों में ऑन स्पॉट बिलिंग पूरी तरह से चालू नहीं की गयी है कि उपभोक्ताओं को एक साथ बिजली खपत की जांच कर बिल दे सके. वहीं, कुछ गांवों में बिजली के मीटर अगर लगाये भी गये हैं, तो पर्याप्त मात्रा में विभाग के पास मीटर रीडर नहीं है कि हर महीने उपभोक्ताओं के घर जाकर बिजली की रिडिंग कर उन्हे बिल की जानकारी दे पाये.
जिले के लिए आवंटित है 80 मेगावाट बिजली .जिले को हर महीने 80 मेगावाट बिजली मिल रही है. बिजली के अनुपात में विभाग को उपभोक्ताओं से 14 करोड़ रुपये मिलने चाहिए लेकिन छह करोड़ रुपये ही मिल रहे हैं यानी विभाग को हर महीने आठ करोड़ का नुकसान हो रहा है. विभाग के अधिकारियों का कहना है कि कुछ उपभोक्ताओं द्वारा समय पर बिजली बिल का भुगतान नहीं किया जाता है.
बकायेदारों की काटी जा रही बिजली .उधर, वैसे उपभोक्ता जिन पर पांच हजार रुपये से अधिक का बिजली बिल बकाया है, उनका कनेक्शन काटा जा रहा है. दूसरी तरफ, विभाग को संचालित करने वाली कंपनी साउथ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड द्वारा फीडर में दी जा रही बिजली के अनुपात में बिल नहीं देने पर बिजली की कटौती किये जाने की बात कही जा रही है.
जनप्रतिनिधियों द्वारा लगायी गयी लाइटों के बिल का हिसाब नहीं. आम लोगों द्वारा इस्तेमाल की जा रही बिजली का बिल तो मिल रहा है लेकिन ग्रामीण इलाकों में जनप्रतिनिधियों द्वारा लगायी गयी लाइट जलाने में बिजली की जो खपत होती है उसका भुगतान कौन करता है, विभाग इससे अनजान बना हुआ है.
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