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मनमानी के चलते बदरंग हो रहा शहर
भभुआ सदर : ग्रीन सिटी के नाम से देश-प्रदेश में मशहूर भभुआ शहर का नाम सुनते ही एक सुंदरतम शहर की परिकल्पना जेहन में आती है लेकिन, हकीकत इसके बिल्कुल उलट है. दीवारों पर चिपके पोस्टर, सरकारी इमारत को बदरंग बनाते लिखे हुए विज्ञापन, सड़कों के किनारे लगे बेतरतीब छोटे-छोटे बोर्ड, बिजली-टेलीफोन के पोल, सूचना […]
भभुआ सदर : ग्रीन सिटी के नाम से देश-प्रदेश में मशहूर भभुआ शहर का नाम सुनते ही एक सुंदरतम शहर की परिकल्पना जेहन में आती है लेकिन, हकीकत इसके बिल्कुल उलट है. दीवारों पर चिपके पोस्टर, सरकारी इमारत को बदरंग बनाते लिखे हुए विज्ञापन, सड़कों के किनारे लगे बेतरतीब छोटे-छोटे बोर्ड, बिजली-टेलीफोन के पोल, सूचना पट्टी, संकेतक बोर्ड और निजी दीवारों पर पोस्टर विज्ञापन से शहर की तस्वीर बिगाड़ी हुई है.
शहर की इस प्रकार से तस्वीर बिगाड़ने में कुछ नप के अधिकारियों पार्षदों का भी हाथ है क्योंकि, नप द्वारा शहर को बेतरतीब दिखानेवालों पर कार्रवाई तो नहीं ही की जाती, उपर से नप के पार्षद भी नियम कानून को धता बता अपनी तस्वरी मुख्य चौक-चौराहों पर चमकाने में तुले हुए हैं.
जबकि, सार्वजनिक संपत्ति को बदरंग बनाने के अधिनियम 2006 के तहत सार्वजनिक संपत्तियों पर अनाधिकृत विज्ञापन सामग्री प्रदर्शित करना अपराध की श्रेणी में आता है फिर भी नप क्षेत्र में मनमाने तरीके से बैनरों पोस्टरों से पाटकर शहर को बदरंग बनाया जा रहा है लेकिन, अब तक इस मसले पर किसी भी अधिकारी द्वारा ध्यान नहीं दिया जा रहा है.
विज्ञापन लगाने को बनाया गया नियम : नगर पर्षद क्षेत्र अंतर्गत आनेवाले सार्वजनिक ही नहीं बल्कि प्राइवेट भू-भाग पर बैनर, पोस्टर, तोरणद्वार, दीवार लेखन के विरुद्ध कार्रवाई करने के लिए सरकार द्वारा नप को शक्ति प्रदत की गयी है. नगर पर्षद के बिना अनुमति के सार्वजनिक अथवा निजी क्षेत्र में बैनर पोस्टर लगानेवाले व्यक्ति या संस्था के विरुद्ध धारा 145, 146, 147, 148, 149, 150, 151 व 152 के तहत कार्रवाई की जा सकती है.
हालांकि, विभिन्न प्रकार की धाराओं के लिए एक अलग-अलग कार्रवाई का प्रावधान है, जिसमें धारा 145 के तहत व्यक्ति नप क्षेत्र में किसी प्रकार का स्ट्रक्चर, साइन बोर्ड, होर्डिंग बैनर पोस्टर, तोरणद्वार या किसी भी प्रकार का प्रचार करने के लिए कार्यपालक पदाधिकारी नगर से अनुमति लेना आवश्यक होता है. धारा 146 के तहत किसी भी प्रकार के विज्ञापन के प्रयोजन के लिए कार्यस्थल के उपयोग करने की अनुमति विज्ञापन अभिकर्ता को प्रारंभ होने की तिथि से नब्बे दिनों के अवधि में अनुज्ञप्ति नवीकरण के लिए नप अधिकारी के बगैर अनुमति लिये नहीं हो सकता है जबकि, धारा 147 के तहत विज्ञापन के कर का प्रावधान है जो कि अग्रिम या किश्त के रूप में हो सकता है.
कई जगहाें पर लगे हैं अवैध विज्ञापन : शहर में विज्ञापन लगाने जैसे नियम कानून लागू करने व शहर को सुंदर बनाने में नप अधिकारियों में सार्थक सोच की कमी के चलते शहर का हर कोना बड़े-बड़े विज्ञापन बोर्ड, बैनर पोस्टर से पटा हुआ है. शहर का एकता चौक, पटेल चौक, जेपी चौक सहित अखलासपुर बस स्टैंड व अन्य जगह हो हर जगह बेढंगे व बेतरतीब विज्ञापन बोर्डों से ग्रीन सिटी के नाम पर धब्बा लग रहा है लेकिन, नप के अधिकारी हो या जिले के बड़े अधिकारी इसकी सार्थकता बनाये रखने के प्रति अब तक गंभीर नहीं हो सके है और न ही इस प्रकार के कायदे कानून को लागू करवाने के प्रति सजग हो रहे हैं.
औने-पौने दाम पर बेच दिया विज्ञापन अधिकार
मनमाना प्रचार करने के बीच शहर में विज्ञापन का अधिकार नप द्वारा तीन वर्ष के लिए डेहरी स्थित एक एडवरटाइजिंग कंपनी को दिया गया है लेकिन, नप द्वारा विज्ञापन लगाने के अधिकार में काफी अनियमितता बरती गयी और उक्त कंपनी को औने-पौने दाम पर यह अधिकार वर्ष 2014 में दे दी गयी.
शहर में विज्ञापन लगाने के अधिकार को काफी कम राशि में निलाम कर देने से नप को राजस्व का काफी हानि हुई इधर, जिस कंपनी को नगर में विज्ञापन का अधिकार दिया गया उक्त कंपनी के अधिकारियों का भी आरोप है कि उनके द्वारा लगाये गये विज्ञापनों को हटा कर गैरकानूनी रूप से कुछ लोगों व संस्था द्वारा अपना विज्ञापन लगा दिया गया है. शहर के सार्वजनिक सहित सरकार दीवारों, प्रतिष्ठानों पर अवैध तरीके से विज्ञापन लगाये जा रहे हैं इससे न तो नप का फायदा होगा और न हीं 2017 में करार खत्म होनेवाली एडवरटाइजिंग कंपनी को.
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