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जान हथेली पर रख सरकारी आवास में रहने को मजबूर बिजली विभाग के कर्मी

भभुआ शहर : बिजली विभाग का बना सरकारी आवास 50 वर्षों से ज्यादा पुराना है. इसकी स्थिति काफी जर्जर हो गयी है. इस आवास के आसपास गुजरने से लोगों को भय बना रहता है. गौरतलब है कि बिजली विभाग की आवासीय काॅलोनी कभी शहर की बिजली कॉलोनी के नाम से जानी जाती थी और विभाग […]

भभुआ शहर : बिजली विभाग का बना सरकारी आवास 50 वर्षों से ज्यादा पुराना है. इसकी स्थिति काफी जर्जर हो गयी है. इस आवास के आसपास गुजरने से लोगों को भय बना रहता है. गौरतलब है कि बिजली विभाग की आवासीय काॅलोनी कभी शहर की बिजली कॉलोनी के नाम से जानी जाती थी और विभाग के अधिकारी से लेकर कर्मचारी तक उसी कालोनी में रहते थे. साथ ही एक ही परिसर में रहने का लाभ उस समय उपभोक्ता को यह मिलता था.आवास की स्थिति खराब होने की वजह से अधिकारी काॅलोनी में नहीं रहते हैं. सिर्फ छोटे कर्मचारी ही इस काॅलोनी में रहते हैं और खासकर वही कर्मी कालोनी में रहते है जिन्हे रात- दिन कभी भी डियूटी करनी होती है.
रिजेक्ट होने के बावजूद वसूला जाता है किराया : बिजली विभाग का भवन काफी पुराना होने के साथ-साथ पूरी तरह जर्जर हो गया है. छोटे कर्मचारी मिस्त्री, अपरेटर सहित अन्य कर्मी इस भवन में रहते है. भवन पूरी तरह रिजेक्ट हो चुका है. लेकिन, कर्मियों की पीड़ा है कि भवन को विभाग के द्वारा रिजेक्ट किये जाने के बावजूद रूम रेंट और मेंटनेंस चार्ज के नाम पर दो सौ रूपये देना पड़ता है.
अधिकारी रहते हैं प्राइवेट भवनों में : विभाग से मिली जानकारी के अनुसार विभाग के छोटे कर्मियों को छोड़कर कोई भी अधिकारी उस पुराने जर्जर भवन में नही रहता है. अधिकारी शहर में बने प्राइवेट कॉलोनियों में अपने सुविधा के मुताबिक आवास लेकर रहते हैं. उन्हे इस भवन के न तो पुराने होने की परवाह है और न ही जर्जर होने की.

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