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कैमूर से पटना तक का रास्ता खतरों से खाली नहीं

मोहनिया (सदर) : मोहनिया से राजधानी पटना को जोड़नेवाले एनएच 30 की स्थिति काफी जर्जर हो चुकी है. यह सड़क इतनी जर्जर हो चुकी है कि इसकी तुलना में गांवो में बनी पीएमएसवाइ की सड़के इससे अच्छी हैं. सड़क की हालत यह है कि मोहनिया से पटना की दूरी करीब 200 किमी है, जिसे तय […]

मोहनिया (सदर) : मोहनिया से राजधानी पटना को जोड़नेवाले एनएच 30 की स्थिति काफी जर्जर हो चुकी है. यह सड़क इतनी जर्जर हो चुकी है कि इसकी तुलना में गांवो में बनी पीएमएसवाइ की सड़के इससे अच्छी हैं.

सड़क की हालत यह है कि मोहनिया से पटना की दूरी करीब 200 किमी है, जिसे तय करने में सात से आठ घंटे का समय लग जाता है. आलम यह है कि लोग इस रास्ते से गुजरना भी नहीं चाहते हैं.

कहां से कहां तक अधिक खराब है सड़क: मोहनिया से समहुता तक करीब 10 किमी तक रिपेयरिंग के कारण सड़क कुछ ठीक है. समहुता से ही सड़क की खराब स्थिति शुरू हो जाती. यहां से दिनारा तक इस सड़क पर कई गहरे गड्ढे उभरे हुए हैं. कुदरा नदी पुल से लेकर खलसापुर तक तो पूछिए ही मत. बेलवैया से गुनसेज तक सड़क की स्थिति कुछ ठीक है. वर्ष 2014 में इस सड़क की रिपेयरिंग करायी गयी थी, लेकिन इसके तुरंत बाद सड़क उखड़ने लगी है. सड़क की यह स्थिति आरा तक है. मोहनिया से आरा तक इस रोड पर सैकड़ो गड्ढे हैं.

नहीं देता है कोई ध्यान: राष्ट्रीय राजमार्गो के निर्माण, प्रबंधन व रख रखाव की जिम्मेवारी केंद्र सरकार की होती है. इसका नियंत्रण केंद्रीय लोक निर्माण विभाग द्वारा किया जाता है. अब तक इस मार्ग से हिचकोले खाते आने जाने वाले किसी भी अधिकारी का ध्यान इधर नहीं गया.

खटारा हो रहीं लग्जरी गाड़ियां: इस सड़क पर चलने के एवज में गाड़ी मालिक विभाग को साल में लाखो रुपये टैक्स के रूप मे देते हैं. फिर भी विभाग सड़क बनवाने का नाम नहीं ले रहा है.

जर्जर सड़क पर चलने से कई लग्जरी गाड़ियां व बसें खटारा हो गयी हैं. आये दिन लोडेड ट्रको के एक्सल टूटते रहते हैं. इससे सड़क दुर्घटना की आशंका के साथ वाहन मालिकों को काफी नुकसान उठाना पड़ता है.

कुदरा नदी पुल का भी हाल खराब: मोहनिया कुदरा प्रखंड सीमा पर बने पुल पर भी जानलेवा गहरे गड्ढे बने हुए हैं. इनसे बचने के दौरान विगत वर्ष के सितंबर में मोहनिया से आरा जाने के क्रम मे मोहनिया के एक व्यवसायी की कार दुर्घटनाग्रस्त हो गयी थी. इससे उसमें सवार दो लोग गंभीर रूप से घायल हो गये थे.

रूट बदलने में ही है भलाई: एनएच 30 की जर्जर स्थिति की वजह से हमेशा दुर्घटना का भय बना रहता है, जिससे बचने के लिए लोगों ने रूट बदलना ही ठीक समझ लिया है. अधिकतर पटना जानेवाले लोग बक्सर या गया होकर पटना के लिए निकलते हैं.

लोगों की व्यथा: डॉ मंटू सिंह कहते हैं कि एनएच 30 पर इतने गड्ढे उभर आये हैं कि बड़ी गाड़ी तो क्या लोग बाइक से भी नहीं निकल पायेंगे. एमपी कालेज के प्राचार्य डाॅ अनिल कुमार कहते हैं कि इस सड़क में आरा यूनिवर्सिटी जाना विवशता हैं अन्यथा इस सड़क से भूल कर भी नहीं गुजरता.

अनुमंडलीय अस्पताल के चिकित्सा पदाधिकारी डॉ एके दास कहते हैं कि एनएच 30 इतना खराब है कि उससे पटना जाना या आना खतरे से खाली नहीं है. मोहनिया के बड़े दवा व्यवसायी राजेश केशरी कहते हैं कि मोहनिया-पटना पथ खराब होने के कारण दवा ट्रांसपोर्ट से मंगवा लेते हैं. लेन देन इंटरनेट बैंकिंग से होता है.

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